The Millionaire Fastlane Book Summary in Hindi – इस समरी में आप सीखेंगे कि असली दौलत आज़ादी से अपनी पसंद का जीवन जीने में है. आपका परिवार, अच्छी हेल्थ ये हैं असली दौलत. आपको समझ में आएगा कि बुढ़ापे में अमीर बनने का कोई फायदा नहीं है. दौलतको जवानी में एन्जॉय किया जाना चाहिए. कम उम्र में अमीर बनने के लिए फ़ास्टलेन का रास्ता अपनाकर आप जल्दी रिटायर हो सकते हैं और पूरी जिंदगी आराम से जी सकते हैं.
ये बुक एम. जे. डेमार्को जी ने लेखी है।
The Millionaire Fastlane Book Summary in Hindi – क्या आप जॉब से थक गए है ?
इंट्रोडक्शन (Introduction)
क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे किसी ने 22 साल की छोटी उम्र में लिमोज़िन जैसी लक्ज़री कार खरीद ली? कैसे कोई 30 साल की उम्र में रिटायर होने के बावजूद कम्फर्टेबल और शानदार जिंदाजी जी रहा है? क्या आपको लगता है कि किसी इंसान का कम उम्र में अच्छा ख़ासा पैसा कमाकर रिटायर होना पॉसिबल है?
तो जवाब है “हाँ”, पॉसिबल है. 60-65 की उम्र में रिटायर होना आम बात है लेकिन आप इसे झूठा साबित कर सकते हैं. आप एक यंग मिलियनेयर बन सकते हैं. ज़्यादातर लोग इसी चाहत में कि किसी दिन अमीर ज़रूर बनेंगे हर दिन कितना स्ट्रगल करते हैं, कई बार इसमें पूरी जिंदगी निकल जाती है.
आप ख़ुद को इससे बचा सकते हैं. कम उम्र में भी अपने दम पर आप वो सारे ऐशो आराम एक्सपीरियंस कर सकते हैं. आप अपने बच्चों को बड़ा होता हुआ देख सकते हैं, अपने शौक पूरे कर सकते हैं, बिना बिना किसी चिंता के इस खूबसूरत जिंदगी को एन्जॉय कर सकते हैं और पूरी दुनिया घूम सकते हैं. और सबसे बड़ी बात,आप अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर खुल के जी सकते हैं.
इस बुक में आप पैसों के बारे में हमने जो ग़लतफ़हमी पाल राखी है उस बारे में जानेंगे. इसे पढ़ने के बाद आप समझ जाएंगे कि पूरी उम्र गुज़रने के बाद अमीर बनने का कोई मतलब नहीं रह जाता. ये लक्ज़री, ये पैसा तो जवानी में एंजॉय करने की चीजें हैं.
इस बुक में तीन तरह के स्ट्रेटेजीज बताए गए हैं. आप उनके इम्पोर्टेंस और कमियों के बारे में जानेंगे.इन तीनों में से सिर्फ़ फ़ास्टलेन की स्ट्रेटेजी ही है जो आपको सक्सेस और पैसा के रास्ते पर ले जाती है. पैसा अपनी मंज़िल को देखने से नहीं मिलता बल्कि जो रास्ता आपको वहाँ तक ले जाता है उस पर फोकस करने से मिलता है.
ये रोमांचक सफ़र आपको ये भी समझा देगा कि असली दौलत वो नहीं जो आपको महँगी चीजें खरीदने का पॉवर देती है बल्कि सच्ची दौलत तो फॅमिली का साथ,अच्छी हेल्थ और एक आज़ाद जीवन में छुपी होती है.
ये बुक आपको कम उम्र में ही बहुत पैसा कमाने की technique बताएगी. तो क्या आप इसके लिए तैयार हैं? तो चलिए बिना देर किये शुरू करते हैं.
द ग्रेट डिसेप्शन (The Great Deception)
सदियों से अमीर बनने का एक घिसा पिटा रवैया चला आ रहा है कि एक ढंग की जॉब ढूंढो, पैसे बचाओ, ख़र्चे कम करो, म्यूच्यूअल फण्ड में पैसा इन्वेस्ट करो और एक दिन आप ज़रूर अमीर बन जाएँगे.लेकिन ऐसा करने में तो 25 या 30 साल भी लग सकते हैं.
इस हिसाब से तो आप पूरी जिंदगी कोहलू के बैल की तरह मेहनत करते रहेंगे वो भी सिर्फ इसलिए कि जब आप बूढ़े हों तब अमीर बन सकें? लेकिन जवानी ख़त्म होने के बाद आप बुढ़ापे में इतने पैसों का करेंगे क्या? इस तरह जीने से आप सिर्फ अपनी जवानी ही नहीं बल्कि अपना टाइम, हेल्थ, फ्रीडम ये सब गवां देते हैं. आइए एक कहानी से इसे समझते हैं. शिकागो के एक इन्वेस्टमेंट बैंकर ने फ़ास्टलेन के फोरम में अपना एक्सपीरियंस शेयर किया. जब वो 23 साल के थे तो उनकी अच्छी खासी जॉब थी. सैलरी के साथ साथ उन्हें कमीशन भी अच्छी मिल जाती थी. बैंकर ने कहा कि जब भी वो कुछ लोगों को ऐशो आराम की जिंदगी जीते हुए और महेंगी स्पोर्ट्स चार चलाते हुए दखते तो उन्हें अपनी जॉब से चिड होने लगती.और वो लोग कोई नौजवान लड़के लडकियां नहीं थे बल्कि 50 के आस पास के लोग रहे होंगे.
फ़िर उसने कहा कि एक बार एक 52 साल के एक आदमी ने उससे कहा था कि जब तक आप लक्ज़री कार अफ्फोर्ड कर पाएँगे तब आप इसे एन्जॉय नहीं कर पाएँगे.उम्र के साथ हेल्थ ख़राब होने लगती है, इच्छाएं कम होने लगती है और आप पैसा बचाने के लिए अपने जिंदगी के उस उम्र को खो देते हैं जो आपको कभी वापस नहीं मिलेगा.
द रोड ट्रिप टू वेल्थ (The Road Trip To Wealth)
हम में से ज़्यादातर लोग पैसे को ठीक से समझते ही नहीं. पैसा कोई इवेंट नहीं है, ये एक प्रोसेस है. आपको अमीर बनने के लिए एक प्रोसेस से गुज़रना होगा. ये एक रोड ट्रिप की तरह है लेकिन आपको सिर्फ अपनी मंजिल पर फोकस करने के बजाय इस रास्ते का भी आनंद लेने की ज़रुरत है. तो आपकी मंजिल आपका इवेंट है और ये जर्नी वो प्रोसेस है.
अब इस सफ़र पर जाने के लिए तीन इम्पोर्टेन्ट चीज़ों की ज़रुरत है. पहली तो है कार, जो आप ख़ुद हैं क्योंकि सिर्फ़ आप डिसाइड करते हैं कि आपको जाना कहाँ है. दूसरी चीज़ है कि आप अपनी मंजिल तक जाने के लिए कौन सा रास्ता चुनते हैं, तो वो है आपकी चोइसेस और तीसरी चीज़ है स्पीड यानी किस स्पीड से अपने आइडियाज को अप्लाई करना शुरू करते हैं.
एक बार इस बुक के ऑथर एमजे डेमार्को अपने कुछ दोस्तों के साथ शिकागो से रोड ट्रिप के ज़रिये साउथ फ्लोरिडा जा रहे थे. बीच रास्ते में उनकी गाड़ी ख़राब हो गई. वो अब भी अपनी मंजिल से काफ़ी दूर थे और रास्ते में फंस गए थे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वो अपनी मंजिल पर फोकस कर रहे थे उस जर्नी पर नहीं. उन्होंने निकलने से पहले पेट्रोल, कार के इंजन, रोडमैप इन सभी ज़रूरी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया.
अगर उन्होंने इन ज़रूरी बातों का ध्यान रखा होता तो बिना किसी परेशानी के आराम से अपनी मंजिल तक पहुँच जाते. इसलिए हमेशा याद रखें कि मंजिल तक पहुंचना तो ज़रूरी है लेकिन जल्दी पहुँचने के चक्कर में अगर आपने दूसरी बातों को नज़रंदाज़ किया या गलत रास्ता चुन लिया तो रास्ते में बहुत सी मुश्किलें आ सकती हैं. इसलिए अगर आपने रास्ते पर भी ध्यान दिया तो आप बिलकुल समय पर अपनी मंजिल तक पहुँच जाएँगे.
इमेजिन कीजिये कि एक दिन आप एक ब्लॉग पढ़ते हैं जिसमें लिखा है कि एक कम उम्र के लड़के ने अपनी कंपनी 30 मिलियन डॉलर में बेच दी. अब ये एक इवेंट है जिसकी हर कोई चर्चा और तारीफ़ कर रहा है.लेकिन इसके पीछे की कड़ी मेहनत के बारे में कोई नहीं जानता.
कोई नहीं जानता कि उस आदमी ने दिन रात बिना रुके, बिना आराम किए अपना कितना टाइम और एनर्जी उस काम में दिया होगा.जब किसी को सक्सेस मिलती है तो हर किसी की नज़र उस पर होती है लेकिन उस सक्सेस के पीछे की लंबी जर्नी और स्ट्रगल के बारे में कोई नहीं जानता.लेकिन सच तो ये है कि वो इवेंट सिर्फ उस जर्नी और उस प्रोसेस की वजह से पॉसिबल हो पाया था.
एक बार एक एथलिट ने प्रो बास्केटबॉल का गेम खेलने के लिए 50 मिलियन $ का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया. ये एक इवेंट था जिसे सबने देखा. लेकिन कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने के कुछ ही मिनटों बाद वो एथलिट अमीर नहीं हो गया. उसने अपना नाम बनाने के लिए बहुत मेहनत की, एक लंबा सफ़र तय किया तक जाकर उसे वो कॉन्ट्रैक्ट मिला.
उसने अपने स्किल को इम्प्रूव करने के लिए उसने घंटों प्रैक्टिस किया, हज़ारों बार गिरा,ना जाने कितनी बार उसे अपने घाव की वजह से सर्जरी करवानी पड़ी. आपको क्या लगता है कि उसे सब आसानी से मिल गया होगा? नहीं, उसे भी कई बार रिजेक्ट किया गया, वो कई बार फेल भी हुआ.उसने अच्छे बुरे हर तरह के दिन देखे और इन्हीं खट्टे मीठे एक्सपीरियंस ने उसकी जर्नी को उसकी मंजिल तक पहुंचाया.
चलिए मान लीजिये कि आप कुकीज़ बनाना चाहते हैं. आप किचन में जाते हैं और एक bowl में चीनी और आटा मिक्स कर देते हैं. आपको क्या लगता है क्या होगा? आप आँखें बंद करेंगे और कुकीज़ अपने आप तैयारहो जाएँगे? नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला.जब तक आप कुकीज़ बनाने वाले हर सामान को bowl में नहीं डालेंगे, एक रेसिपी में दिए गए हर इंस्ट्रक्शन को फॉलो नहीं करेंगे तब तक कुकीज़ नहीं बन सकती.
तो सक्सेस भी एक रेसिपी की तरह है, जब तक आप ज़रूरी बातों का ध्यान नहीं रखेंगे तब तक आपको दौलत नहीं मिल सकती.अगर एक भी ingredient छूट जाए तो रेसिपी ख़राब हो जाती है. इसलिए हर पहलू पर ध्यान दें तब आपको एक्स्ट्रा आर्डिनरी सक्सेस मिलेगी.
द साइडवॉक रोडमैप (The Sidewalk Roadmap)
आइए अब रोडमैप के बारे में समझते हैं. एमजे ने समझाया है कि तीन तरह के रोडमैप होते हैं. पहला है, साइडवॉक रोडमैप जो आपको पैसों की तंगी और गरीबी की ओर ले जाता है. इसे फॉलो करने वालों को साइडवॉकर कहते हैं. ये लोग लाइफ में कोई फाइनेंसियल प्लान नहीं बनाते. वो अपने इनकम को अपने रोज़ के ख़र्चों और कई बार फ़िजूल खर्चों के कारण उड़ा देते हैं. वो अपने आने वाले कल के लिए प्लान नहीं करते और अक्सर उन्हें हर दिन की कमाई पर ही सर्वाइव करना पड़ता है.इसलिए डिसिप्लिन की कमी और ख़राब फाइनेंसियल मैनेजमेंट के कारण ये साइड वॉक का रास्ता इंसान को गरीबी की ओर ले जाता है.
अब दो तरह के साइडवॉकर होते हैं – इनकम-पुअर और इनकम-रिच. ऐसे लोगों की नेट वर्थ ज़ीरो या नेगेटिव होती है.रिसर्च से पता चला है कि 85% अमेरिकंस इस category में आते हैं. ना इनके पास कोई सेविंग होती है, ना पैसे और ना कोई deposit. इतना ही नहीं, इन लोगों पर बहुत भारी लोन भी होता है जिसमें कार लोन, होम लोन, पर्सनल लोन सब शामिल है. लेकिन फिर भी आपको उनके घर में लेटेस्ट फ्लैट स्क्रीन टीवी, मोबाइल, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले गैजेट सब कुछ देखने को मिलेगा.
ये सब जिंदगी की ज़रूरतें तो नहीं हैं. हाँ, आप इन्हें शौक ज़रूर कह सकते हैं. इनकम-पुअर साइडवॉकर फ्यूचर के लिए पैसे नहीं बचाते. ना वो अपने बुढ़ापे के लिए कुछ प्लान करते हैं और ना जिंदगी की किसी emergency के लिए. वो बस सारा पैसा शो-ओफ़ करने में बर्बाद कर देते हैं.
इसलिए जिंदगी के सफ़र के लिए ये रास्ता बिलकुल सेफ़ नहीं है क्योंकि अगर आपको रास्ते में ठोकर लगी तो आपको संभलने तक का मौका नहीं मिलेगा. ये ठोकर कुछ भी हो सकती है जैसे जॉब छूट जाना, इंटरेस्ट रेट बढ़ जाना, अचानाक्क से कोई एक्सीडेंट होना, किसी बीमारी का शिकार हो जाना या फ़िर दुनिया में फ़ैली मंदी.
ये तो वैसा ही हुआ कि ऐसे लोगों के पास एक ब्रांड न्यू लक्ज़री कार तो है लेकिन हेल्थ insurance नहीं है. अब ऐसे में अगर उनकी लाइफ में कोई एक्सीडेंट हो जाता है तो उन्हें अपनी जेब से पैसे भरने पड़ेंगे जिससे उन पर और लोन चढ़ जाएगा और फ़िर वो इस कभी ना ख़त्म होने वाले गरीबी के जाल में उलझ कर रह जाएंगे.
अब बात करते हैं इनकम-रिच साइडवॉकर की. एक बार एक रैपर था जिसने सिर्फ तीन साल में दो हिट रैप सोंग्स दिए और वो काफ़ी फेमस हो गया. लेकिन बहुत जल्द उसका दिवाला भी निकल गया था.आपको सुन कर हैरानी होगी कि वो हर महीने 4 मिलियन $ कमा रहा था लेकिन फिर भी उसकी फाइनेंसियल कंडीशन बहुत खराब हो गई.इसका भी वही कारण था, पुअर मैनेजमेंट स्किल.
फेमस एक्टर, म्यूजिशियन अक्सर अपने लुक्स को मेन्टेन करने के लिए लंबा पैसा खर्च करते हैं. वो महंगे डिज़ाइनर कपड़े पहनते हैं, आलिशान सी फेसिंग घर में रहते हैं और महेंगी गाड़ियां ड्राइव करते हैं.इन सब चीज़ों को देख कर हमें लगता है कि वो कितने ऐशो आराम और मज़े से रहते हैं, है ना? लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसी लाइफस्टाइल मेन्टेन करने के लिए कितना ख़र्च होता होगा? और प्रॉब्लम यहीं से शुरू होती है.
वो जितना कमाते हैं उससे ज़्यादा ख़र्च करते हैं. मान लीजिये कि वो हर महीने 50$ कमाते हैं तो उनके ख़र्चे कम से कम 60$ होंगे.यही कारण है कि वो कभी पैसा जमा नहीं कर पाते. उनके करियर में एक छोटी सी फेलियर की उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.कई ब्लाकबस्टर गाने रिलीज़ करने के बावजूद एक फ़्लोप गाना या फ़िल्म उन्हें बर्बाद कर सकती है.
हैज़ योर वेल्थ बीनटॉक्सिफाइड (Has Your Wealth Been Toxified?)
हम अक्सरवेल्थ को उन चीज़ों से आंकते हैं जो महेंगी चीज़ें हमारे पास होती हैं. लेकिन ये नज़रिया गलत है. पैसों की वर्थ जानने का सही तरीका है वेल्थ ट्रिनिटी. जैसा की नाम से समझ में आता है इसमें तीन चीजें शामिल हैं – फॅमिली, फिटनेस और फ्रीडम.
सबसे पहले, वेल्थ का मतलब होता है अपने परिवार से एक गहरा और मज़बूत रिश्ता. दूसरा है, healthy और फिट बॉडी. एक healthy और स्ट्रोंग बॉडी से ज़्यादा कीमती कुछ नहीं होता.और तीसरा है फ्रीडम यानी आज़ादी.ये अपनी पसंद से डिसिशन लेने और अपने तरीके से जिंदगी जीने की आज़ादी के बारे में है.
पैसे भी दो तरह के होते हैं. असली और नकली या आर्टिफीसियल. नकली पैसे का मतलब है पैसे का भ्रम होना.ये असली पैसे को बर्बाद कर देता है. आइए एक एक्जाम्पल की मदद से इसके फ़र्क को समझते हैं.
एक्सप्रेसवे के पास एक अपार्टमेंट था.उस अपार्टमेंट को देख कर लगता था जैसे उसे रिपेयर की ज़रुरत है.उसका रंग धुंधला हो गया था, वो जगह जगह से टूट फूट गया था.एमजे जिम जाते वक्त अक्सर उसे देखा करते थे. उस पुराने अपार्टमेंट के पार्किंग लौट में उन्होंने एक बहुत महंगी लक्ज़री कार खड़ी देखि. उन्हें उस कार के ओनर के बारे में सोच कर आश्चर्य होता था.
अगर वो 60,000$ की कार अफ़्फोर्ड कर सकता है तब तो वो बहुत दौलतमंद होगा. लेकिन अगर वो इतना अमीर है तो ऐसे अपार्टमेंट में क्यों रहता है जिसकी हालत इतनी ख़राब है? उसे तो एक आलिशान बंगले में रहना चाहिए. तो इसका राज़ था कि उस कार का ओनर बिलकुल अमीर नहीं था, वो बस अमीर दिखना चाहता था. इसे ही आर्टिफीसियल वेल्थ कहते हैं.ऐसा तब होता है जब आप सच में पैसे वाले नहीं होते लेकिन पैसे वाले होने का दिखावा करते हैं.
आइए एक और कहानी सुनते हैं जो साबित कर देगा कि महंगी चीजें होने से कोई पैसे वाला नहीं हो जाता. असली वेल्थ है आपका परिवार, अच्छी हेल्थ और आज़ादी.
हेनरी सुकरानो एक बड़ी दवाई बनाने वाली कंपनी में काम करता था. वहाँ वो अच्छा कमा रहा था. कुछ समय बाद, हेनरी ने अपना ड्रीम हाउस खरीदा जिसकी कीमत थी 1.8 मिलियन $. उस आलिशान बंगले में स्विमिंग पूल, पांच गाड़ियों रखने जितनी बड़ी garage, घोड़ों को रखने के लिए अस्तबल और वो सब कुछ था जो आप एक बंगले में इमेजिन कर सकते हैं.वहाँ रहने से हेनरी को लगता था कि वो बहुत अमीर है.
एक दिन, कंपनी में पॉलिटिक्स की वजह से उसके काम पर ऊँगली उठाई जाने लगी. अब उसे पहले से भी ज़्यादा काम करने लिए कहा गया. हेनरी को रोज़ काम पर जाने के लिए ट्रेवल करना पड़ता था. उसका पूरा दिन या तो काम करने में या सोने में ही बीत जाता. हेनरी ने अपना मनपसंद घर उसे एन्जॉय करने के लिए और सुकून से रहने के लिए खरीदा था और अब उसे एक पल का भी चैन नहीं मिल रहा था. इस घर को खरीदने के चक्कर में उसके रिश्तों और उसकी हेल्थ पर काफ़ी बुरा असर हुआ था.उसके पास अपने बीवी बच्चों के लिए वक़्त ही नहीं था. वो हर समय स्ट्रेस में रहने लगा. वो अपने इस ऐशो आराम के लाइफस्टाइल में फँस गया था जिसने उसकी आज़ादी, उसकी शांति सब छीन लिया था. तो क्या समझे आप? हेनरी सिर्फ़ ये जताना चाहता था कि वो कितना दौलतमंद है इसलिए उसने इतना महँगा घर खरीदा. लेकिन असल में वो उसे अफ़्फोर्ड नहीं कर सकता था. अब उस घर के ख़र्चों को उठाने के लिए वो लगातार काम करता रहा जिसने उसका चैन, आज़ादी सब छीन लिया था. आर्टिफीसियल वेल्थ इस तरह असली पैसों का नाश कर देती है.
मिसयूज मनी एंड मनी विल मिसयूज यू (Misuse Money and Money Will Misuse You)
अक्सर देखा गया है कि इंसान के पास जितना ज़्यादा पैसा होता है उसका लोन उतना ही बढ़ता जाता है क्योंकि आप जितना ज़्यादा कमाने लगते हैं उतना ही ज़्यादा ख़र्च भी करने लगते हैं, जिससे लोन बढ़ जाता है. अब आप इस लोन को चुकाने के लिए दिन रात बस काम में ही लगे रहते हैं.ज़्यादा काम करने से आपको स्ट्रेस होने लगता है, आप चिडचिडे हो जाते हैं जिसका बुरा असर आपके रिश्तों, आपकी हेल्थ सब पर पड़ता है. इसलिए कहा जाता है कि पैसा आपके लिए खुशियाँ नहीं खरीद सकता.पैसा आपकी जिंदगी आसान तो बना सकता है लेकिन ज़रूरी नहीं कि वो उसे ख़ुशहाल भी बना सके.
पैसे के साथ अगर आज़ादी भी हो तो वो खुशियाँ ज़रूर देता है. पैसे का इस्तेमाल सिर्फ आपकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. आइये अब जानते हैं कि अगर आप पैसों को मिसयूज करेंगे तो उसके क्या क्या परिणाम हो सकते हैं.
एमजे ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद एक कंस्ट्रक्शन लेबर के रूप में काम करने लगे. ये काम थोड़ा थकाने वाला था लेकिन सैलरी अच्छी थी. एमजे को हर रोज़ साईट तक पहुँचने के लिए हैवी ट्रैफिक का सामना करना पड़ता. ये काम थोड़ा challenging था लेकिन एमजे ज़्यादा पैसा कमाने के लिए वहाँ जॉब करते रहे.
कुछ समय बाद उनके बचाए हुए पैसों से अच्छी खासी रकम जमा हो गई, अब एमजे ख़ुद को अमीर समझने लगे. उन्होंने अपना रहन सहन और ऊँचा करने का फ़ैसला किया और एक महँगी स्पोर्ट्स कार खरीद ली.उन्हें लगने लगा कि ये महँगी कार उनके पैसे वाले होने का स्टेटससिंबल है.
कुछ समय बीतने के बाद एमजे अपने काम से उबने लगे. उन्हें लगने लगा कि ये काम मुशकिल भी था और उनका सारा समय इसी में बीत जाता था. वो बहुत थका हुआ फील करते थे. लेकिन मजबूरन एमजे को अपना जॉब जारी रखना पड़ा.उन्हें एहसास होने लगा कि चाहकर भी वो अपना काम नहीं छोड़ सकते क्योंकि उनके ख़र्चे इतने बढ़ गए थे. उन्हें पहली बार समझ में आया कि वो स्पोर्ट्स कार उनका स्टेटस सिंबल नहीं था बल्कि एक दीमक था जिसने उनके सुख चैन को ख़त्म कर दिया था.
इसी बात को और गहराई से समझने के लिए आइए एक और कहानी सुनते हैं. एक आदमी था जो लोगों को ब्लैकमेल कर के ज़बरदस्ती पैसा वसूल करता था. ऐसा करके वो साल में 2,14,000 $ कमा लेता था. इस हिसाब से तो उसके पास बहुत पैसा होना चाहिए.
लेकिन जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि वो पूरी तरह बर्बाद हो चुका था.
उसने अपनी बीवी को छोड़ दिया था और कोर्ट के आर्डर की वजह से उसे हर महीने अपनी बीवी को 6,000 $ देने पड़ते थे. इसके अलावा भी उसके सर पर कईतरह के लोन थे. उसने लोगों को ब्लैकमेल किया ताकि वो फ्रीडम और ख़ुशी हासिल कर सके. लेकिन वो कभी ये हासिल नहीं कर पाया क्योंकि उनके पैसों का गलत इस्तेमाल किया था और अब पैसा ही उसे गलत रास्ते पर ले जा रहा था. उसके पास पैसा था मगर वो अब भी क़र्ज़ में डूबा हुआ था. वो ब्लैकमेलिंग से कमाए गए पैसों से खुशियाँ खरीदने की कोशिश कर रहा था. लेकिन ऐसी ख़ुशी बहुत कम समय के लिए टिकती है. उसे एहसास ही नहीं हुआ कि क़र्ज़ ने उसे पैसों का गुलाम बना दिया था और वो उस गुलामी से आज़ादी चाहता था.
वेल्थ डिमांड्स अकॉउंटेबिलिटी (Wealth demands accountability)
क्या आपने हिच हाईकिंग के बारे में सुना है? हिच हाईकिंग का मतलब है सफ़र पर निकलना लेकिन रास्ते में दूसरों से लिफ्ट लेकर आगे बढ़ना. अब ये बहुत ही रिस्की और खतरनाक होता है. कई लोग ऐसा किसी जर्नी के दौरान ही नहीं बल्कि अपनी जिंदगी में भी करते हैं जहां वो अपने फाइनेंसियल प्लान का कंट्रोल दूसरों को सौंप देते हैं. इसमें आपके फाइनेंसियल डिसिशन कोई और लेता है. ऐसे लोग अक्सर असहाय और दूसरों पर डिपेंडेंट हो जाते हैं. इससे बचने का उपाय है ज़िम्मेदारी लेना, रिस्पोंसिबल बनना. ज़िम्मेदार होने का मतलब है कि आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं. इसका मतलब ये भी है कि आप गलती को दोहराते नहीं हैं.
एक दिन, एमजे अपनी एक दोस्त के साथ रेस्टोरेंट में डिनर कर रहे थे. उसने एमजे को बताया कि उसका आइडेंटिटी कार्ड खो गया था जिस वजह से वो बहुत परेशान थी. एमजे ने पूछा कि ये कैसे हुआ तो उसने कहा कि मेक्सिको के एक रेस्टोरेंट में उसका पर्स चोरी हो गया था. उस पर्स में आइडेंटिटी कार्ड के साथ साथ और भी कई इम्पोर्टेन्ट पेपर्स थे और वो चोरी हो जाने से उसे बहुत नुक्सान हुआ था. उसने कहा कि उसने पर्स टेबल पर रखा था तभी अचानक कोई आया और पर्स उठाकर भाग गया.
इस स्टोरी में ये समझाया गया है कि ये उस औरत की गलती थी कि उसका पर्स चोरी हो गया था. ये जानते हुए कि पर्स में इम्पोर्टेन्ट पेपर्स थे उसने बड़ी लापरवाही से उसे ऐसे ही टेबल पर रख दिया. सबसे आश्चर्य की बात तो ये थी कि उसका पर्स पहले भी चोरी हुआ था.
अपनी गलती को एक्सेप्ट कर उससे सीखने के बजाय उसने दोबारा वो गलती दोहराई. उसे टेबल पर अपना पर्स रखने की आदत थी. इसी का मतलब होता है हिचहाईकिंग. वो औरत ख़ुद अपने आप को एक विक्टिम बना रही थी. यही उसकी गलती थी. जो कुछ भी हुआ, उसे उसकी ज़िम्मेदारी लेकर दोबारा दोहराने से बचना चाहिए था.
द लाय यूहैव बीन सोल्ड: द स्लोलेन (The Lie You’ve Been Sold: The Slowlane)
साइडवॉकर के बाद आते हैं स्लोलेनर्स. अब स्लोलेन साइडवॉकिंग से बेहतर होता है. साइडवॉकर्स आज में जीते हैं, ना वो आने वाले कल की परवाह करते हैं और ना ही कोई प्लानिंग. वो किसी चीज़ की ज़िम्मेदारी नहीं लेते. स्लोलेनर्स अपनी गलती को एक्सेप्ट कर उसे ना दोहराने की सोच रखते हैं. ये लोग एक ब्राइट फ्यूचर की कामना में अपना आज ही सैक्रिफाइस कर देते हैं. वो दिन रात मेहनत करके अपने आने वाले कल के लिए पैसे बचाते हैं. लेकिन फ्यूचर में क्या होगा ये कोई नहीं जानता. पैसों का मज़ा तो जवानी में लिया जाना चाहिए जब हम सब में उमंग और इच्छा दोनों होती है.जब आप बूढ़े हो जाएँगे तो इतने पैसों का क्या करेंगे? आइए इसे जो की कहानी से समझते हैं.
जो एक teenager था जिसका सपना था कि वो बहुत पैसा कमाए. वो हमेशा फाइनेंस की किताबें पढ़ता रहता ताकि ज़्यादा पैसे कमाने के बारे में सीख सके. किताबों में वही पुरानी बातें लिखी हुई थीं कि अच्छी जॉब हासिल करो, पैसे सेव करो, ख़र्चे कम करो और एक दिन आप अमीर हो जाएँगे. जो ने इस एडवाइस को फॉलो किया. उसने लॉ की पढ़ाई पूरी की और एक लॉ फर्म में जॉब करने लगा. जो अपने काम में इतना बिजी हो गया कि उसके पास अपने परिवार और दोस्तों के लिए समय ही नहीं था.
वो मंडे से फ्राइडे काम में ही बिजी रहता और वीकेंड पर भी रेस्ट नहीं करता बल्कि आने वाले हफ़्ते की तैयारी में लग जाता.अपने जॉब में 12 साल काम करने के बाद वो अपने जॉब से बोर होने लगा. लेकिन उसे मजबूरन वहाँ काम करना पड़ रहा था क्योंकि उसे बताया गया था कि उसे बहुत जल्द प्रमोशन मिलने वाला था जिसके बाद उसकी सारी परेशानी दूर हो जाती. इसलिए जो ने इस उम्मीद से वहाँ जॉब कंटिन्यू किया कि वो जल्दी ही अमीर हो जाएगा. वो बस अमीर होकर लाइफ एन्जॉय करने का सपना देखता रहा.
लेकिन एक दिन अचानक हार्ट अटैक की वजह से जो की मौत हो गई. वो सिर्फ़ 51 साल का था. जो ने स्लोलेन रोडमैप को फॉलो किया था. उसने अपनी पूरी जवानी काम करने में लगा दी. ना उसने कभी परिवार को समय दिया और ना कभी ख़ुद जिंदगी से संतुष्ट रहा.उसने अपनी इच्छाएं पूरी नहीं की क्योंकि वो पैसा कमाने और फ्यूचर के लिए बचाने में इतना बिजी था. लेकिन वो फ्यूचर तो कभी आया ही नहीं औरअमीर बनने से पहली ही उसकी मौत हो गई.
वेल्थस शोर्टकट : द फ़ास्टलेन (Wealth’s Shortcut: The Fastlane)
तो हमने देखा कि साइडवॉक और स्लोलेन दोनों ही रोडमैप में आपको या तो अपनी जवानी या अपना रिटायरमेंट सैक्रिफाइस करना पड़ता है. इन दोनों को बचाने का एक और रास्ता है जो है फ़ास्टलेन रोडमैप.
ये इतना कमाल का आप्शन है जिसमें आप अपनी जवानी और अपना बुढ़ापा दोनों को एन्जॉय कर सकते हैं.इस रास्ते पर चल कर आप छोटी उम्र में भी मिलियनेयर बन सकते हैं.लेकिन आपको बैठे बिठाए कुछ नहीं मिलेगा, आपको मेहनत तो करनी ही होगी. फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि अमीर बनने के लिए आपको बुढ़ापे तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा बल्कि आपको बहुत जल्द इसका रिजल्ट मिल जाएगा. आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.
एक इजिप्शन राजा के दो भतीजे थे, चुमा और अजुर. वो दोनों 18 साल के थे. एक दिन, राजा ने अपने दोनों भतीजों को एक पिरामिड बनाने के लिए कहा. उन्होंने उनसे वादा किया कि जो पहले पिरामिड बनाने में कामयाब होगा उसे राजा का सिंघासन और बहुत सारा पैसा दिया जाएगा. दोनों ने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया. अजुर ने भारी पत्थर उठाने शुरू कर दिए और उन्हें square शेप में रखने लगा. उसे पिरामिड का बेस तैयार करने में एक साल लगा.
लेकिन चुमा का प्लाट अब तक ख़ाली था. ना वहाँ कोई पत्थर था और ना उसने काम करना शुरू किया था. चुमा तो एक ख़ास तरह का डिवाइस बनाने में बिजी था. अजुर अपने काम में लगा रहा और उसका पहला लेवल पूरा हो गया. अब दूसरे लेवल पर भारी पत्थरों को उठाकर रखना उसके लिए बहुत मुश्किल हो गया. इसलिए अजुर ने अपनी ताकत बढ़ाने का फ़ैसला किया. वो स्ट्रोंग बनने के लिए एक ट्रेनर के पास गया.
इस बीच, चुमा ने अपनी लिफ्टिंग मशीन बना ली थी. एक पत्थर को हिलाने में मशीन को 30 गुना कम समय लगा. जिस काम को पूरा करने में अजुर को दो महीने लगे, उसे चुमा ने दो दिन में पूरा कर दिया था. चुमा ने अपनी पिरामिड 26 साल की उम्र में तैयार कर दी.जैसा कि वादा किया गया था, राजा ने उसे सिंघासन सौंप दिया. इतनी कम उम्र में वो इतना अमीर हो गया था कि उसे जीवन में फ़िर कभी काम नहीं करना पड़ा.
अजुर स्लोलेन को फॉलो कर रहा था और चुमा ने फ़ास्टलेन का रास्ता चुना. अजुर ने सक्सेसफुल होने लिए कड़ी मेहनत की लेकिन चुमा ने बड़ी अकलमंदी से सक्सेस हासिल की. चुमा कम उम्र में ही रिटायर हो गया और उसने अपनी जिंदगी का भरपूर आनंद लिया.
Conclusion –
तो इस बुक में आपने सीखा कि कम उम्र में भी बहुत अमीर बना जा सकता है. आपने तीन अलग अलग तरह के रोडमैप के बारे में भी जाना. अब आप समझ ही गए होंगे कि सिर्फ़ फ़ास्टलेन ही आपको कम उम्र में अमीर बना सकता है.
इस बुक में आपने ये भी समझा कि महँगी गाड़ियां, आलिशान बँगला, महेगे गैजेट आपको अमीर नहीं बनाते. ये बस दिखावा करने का स्टेटस सिंबल बन गया है. असली दौलत तो है अपने पसंद से जीने की आज़ादी. आप अपनी जिंदगी में जो रिश्ते और प्यार कमाते हैं वो है असली दौलत.एक healthy बॉडी है। आपकी सबसे बड़ी दौलत.
इस जर्नी में आपने ये भी जाना कि पैसों तक ले वाले रास्ते पर आप ख़ुद अपनी कार के ड्राईवर होते हैं. बिना ज़िम्मेदारी लिए आप कभी पैसा नहीं कमा सकते. आपको ख़ुद अपने डिसिशन लेने होंगे, आपको रिस्पोंसिबल बनना होगा.
आपको ये विश्वास होना चाहिए कि कम उम्र में भी आप अमीर हो सकते हैं. तो सोच समझ कर डिसिशन लें.फ़ास्टलेन का रास्ता चुन कर दौलत की ओर अपना कदम बढ़ाएं और इस खूबसूरत जिंदगी और दुनिया को एन्जॉय करें.
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आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.