कालिया दमन
कृष्ण को वृंदावन आए हुए अभी थोड़े ही दिन हुए थे। एक दिन गाँव वालों ने यमुना नदी के किनारे बहुत सारी मछलियां मरी हुई देखीं। नदी के किनारे के कदम्ब के वृक्ष भी मुरझाए हुए थे। नदी का पानी पीने वाली गाएं भी एक-एक कर मरती जा रही थीं। सभी इन बातों से परेशान थे। किसी को भी कोई कारण समझ नहीं आ रहा था। अंततः एक दिन उन्होंने नदी की तलहटी में रहने वाले जहरीले साँप, कालिया नाग, को देखा। उसी के कारण नदी का जल जहरीला हो रहा था। गाँव वाले भयभीत थे। इस ज़हरीले साँप की समस्या का हल उन्हें समझ नहीं आ रहा था। कृष्ण को भी कालिया नाग के विषय में पता चला। उन्होंने इस समस्या का समाधान कर जल को पुनः स्वच्छ करने की बात कही। एक दिन अपने गोप सखाओं के साथ यमुना के किनारे गेंद खेलते समय गेंद उछलकर यमुना के भीतर चली गई। गेंद को यमुना से निकालना एक बड़ी चुनौती थी।
कृष्ण ने अपने उदास सखाओं को ढांढस बँधाया और स्वयं यमुना से गेंद निकालने का जिम्मा लिया। वृंदावन वासियों तथा यमुना को कालिया नाग से मुक्ति दिलाने के लिए कृष्ण एक बड़े से कदंब के पेड़ पर चढ़ गए। पेड़ के ऊपर से ही उन्होंने नदी के बीच में छलांग लगा दी। कृष्ण ही हरकत से बच्चे घबरा गए और गाँव वालों को बुला लाए। कालिया नाग नदी के नीचे आराम कर रहा था। विश्राम में बाधा पड़ने से वह क्रुद्ध हो उठा और कृष्ण की ओर बढ़ा। कृष्ण को देखते ही उसने उन्हें पकड़कर अपनी कुंडली में जोर से जकड़ लिया। कृष्ण को नाग की कुंडली में जकड़ा देखकर युवा हों या वृद्ध, गाएँ हों या गोप सभी भयभीत हो उठे। वे सभी कृष्ण के लिए चिंतित थे। अपने प्रिय पुत्र को सर्प के चंगुल में देखकर नंद, यशोदा तथा गोपियों ने रोना प्रारम्भ कर दिया। वे यमुना में कूदकर अपने पुत्र को बचाना चाहते थे पर बलराम ने उन्हें रोक लिया। बलराम कृष्ण की दैवी शक्तियों से भली-भांति परिचित थे। कृष्ण ने स्वयं को एक दम छोटा बना लिया और कालिया की पकड़ से निकल गए।
कालिया की कैद से कृष्ण के बच निकलने के कारण कालिया और अधिक क्रुद्ध हो उठा था। उसने कृष्ण को डसना चाहा। उसके हजारों फन थे और प्रत्येक फन पर मणि थी। कृष्ण कालिया के सिर पर चढ़कर नृत्य करने लगे और एक-एक कर उसका फन कुचलने लगे। कालिया घबरा गया और कृष्ण से अपने प्राणों की भिक्षा मांगने लगा। कृष्ण ने कालिया से यमुना छोड़कर चले जाने के लिए कहा जिससे पुनः यमुना का जल पवित्र हो जाए। कृष्ण जानते थे कि गरुड़ के भय से कालिया रमणक द्वीप को छोड़कर यहाँ आया था। उन्होंने उसे विश्वास दिलाया कि अब उसके फनों पर कृष्ण के पद चिह्न देखकर गरुड़ उसे परेशान नहीं करेगा। आश्वस्त होकर कालिया ने कृष्ण को धन्यवाद दिया और अपनी पत्नियों, मित्रों तथा बच्चों के साथ पुनः रमणक द्वीप लौट गया। उसके जाने के बाद यमुना का जल पुनः स्वच्छ होकर पीने योग्य हो गया। रमणक द्वीप पहुँचकर कालिया ने गरुड़ (विष्णु भगवान के वाहन) की पूजा अर्चना करी और फिर वह शांतिपूर्वक वहाँ रहने लगा।