यशोदा को विश्व रूप दर्शन
एक दिन कृष्ण और बलराम अपने सखाओं के साथ खेल रहे थे। तभी बलराम ने यशोदा से जाकर कृष्ण के मिट्टी खाने की शिकायत करी । यशोदा कृष्ण के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित हो गई और कृष्ण को डाँटने लगी। कृष्ण बार-बार यह कहते रहे कि उन्होंने मिट्टी नहीं खाई थी। सच जानने के लिए यशोदा ने कृष्ण को मुँह खोलकर दिखाने के लिए कहा। जब कृष्ण ने यशोदा को अपना मुँह खोलकर दिखाया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। मुँह के भीतर संपूर्ण विश्व ही समाया हुआ था सजीव, निर्जीव, आकाश, पर्वत, चंद्रमा, ग्रह-नक्षत्र लोगों सहित सभी स्थान… सब कुछ कृष्ण के मुख में ही विद्यमान था । यशोदा यह सोचकर आश्चर्यचकित थी कि कहीं उसका पुत्र दैवी शक्ति के अधीन तो नहीं… पर कृष्ण की शक्ति के कारण वह पल-भर में सब भूल गई। बस उसे अपने पुत्र की शरारत याद रही और उसने कृष्ण को उठाकर अपने अंक में भर लिया।
दामोदर कृष्ण
एक दिन कृष्ण सोए हुए थे, यशोदा मक्खन निकाल रही थी। थोड़ी देर के बाद कृष्ण की आँख खुली और वह अपनी माँ के पास आए। उन्हें भूख लगी थी। यशोदा ने उन्हें अपनी गोद में बिठाया और दूध पिलाने लगी। अभी कृष्ण दूध पी ही रहे थे कि अंगीठी पर उबलने के लिए रखा दूध उबलकर गिरने लगा। यशोदा ने कृष्ण को गोद से उतारा और अंगीठी से दूध उतारने भागी । अभी कृष्ण की क्षुधा शांत नहीं हुई थी। दूध पिलाना बीच में छोड़कर यों यशोदा का जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। कृष्ण को गुस्सा आ गाया। एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर उन्होंने मक्खन निकालने वाले पात्र पर दे मारा। मटका टूट गया और मटके में रखा सारा मक्खन बिखर गया। मटका टूटने की आवाज़ सुनकर यशोदा भागी आई। उसे लगा कि यह कृष्ण की ही शरारत है। उसने उन्हें चारों ओर ढूँढा पर कृष्ण कहीं नहीं मिले उन्हें यशोदा को सताने में बहुत मजा आता था। देखा तो इधर कृष्ण घर के बाहर जाकर सिकहर पर लटके मक्खन को बंदरों में बाँट रहे थे।
मटका तोड़ देने के कारण यशोदा कृष्ण से नाराज़ थी। वह कृष्ण को ढूँढ रही थी। जब उसने कृष्ण को बंदरों को मक्खन खिलाते देखा तो वह उनके पास गई पर कृष्ण वहाँ से भाग गए। वह कृष्ण को इस शरारत की सज़ा देना चाहती थी। किसी तरह उसने कृष्ण को पकड़ा। तभी उसे सामने पड़ी ओखली दिखाई दी। सजा देने के लिए वह उन्हें उसी ओखली से बांधने लगी। पर रस्सी थोड़ी छोटी पड़ गई। यशोदा एक और रस्सी लेकर आई, उससे जोड़ा और फिर उन्हें बांधने लगी पर फिर भी रस्सी थोड़ी छोटी पड़ गई। यशोदा एक और रस्सी लेकर आई, उससे जोड़ा और फिर उन्हें बांधने लगी पर फिर भी रस्सी थोड़ी छोटी पड़ गई। कृष्ण को बाँधने के सभी प्रयत्न व्यर्थ हो रहे थे और वह कृष्ण को बांध नहीं पा रही थी। इस क्रम में यशोदा हाँफने लगी थी। अंत में जब कृष्ण ने देखा कि यशोदा बुरी तरह थक गई है तब वह स्वयं ही ओखली से बंध गए। पेट पर रस्सी बांधे जाने के कारण ही उनका नाम दामोदर पड़ा।