Steal the Show Book Summary in Hindi – अगर आप परफ़ॉर्मर हैं या फिर आप स्पीकर बनना चाहते हैं? तो फिर साल 2015 में रिलीज़ हुई किताब ‘Steal the Show’ आपके लिए ही लिखी गई। आपके लिए इस किताब की समरी किसी गाइड से कम नहीं है. इस किताब के लेखक Michael Port हैं। जो पेशेवर अभिनेता रहे हैं।
उन्होंने इस किताब में अपने एक्सपीरियंस को शब्दों के रूप में उतार दिया है। इस किताब के चैप्टर्स में बताए गए टिप्स और हैक्स की मदद से आप स्टेज में कब्ज़ा कर सकते हैं। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये टिप्स आपको किस फील्ड में मददगार साबित होंगे। इसके लिए आपको बता दें कि भले ही आप इंटरव्यू की तैयारी कर रहे हों, या फिर आपको अभिनेता बनना हो, इस किताब को आप एक गाइड की तरह यूज़ कर सकते हैं।
अगर आप एक मैनेजर्स और टीम लीडर है, या अगर आपको पब्लिक स्पीकिंग में इंटरेस्ट है, या फिर आप कुछ नया सीखना चाहते हों तो ये बुक आपके लिए ही है।
लेखक
इस किताब के लेखक Michael Port हैं। ये लेखक होने के साथ-साथ स्पीकर और कन्सल्टेंट भी हैं। इन्होने अभिनय की पढ़ाई न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी से पूरी की है। ‘सेक्स एंड द सिटी’ जैसे प्रसिद्ध टीवी शो में भी इन्होने अभिनय किया है। इसी के साथ-साथ लेखक ने ‘The Contrarian Effect’ और ‘The Think Big Manifesto’ जैसी किताबों का लेखन भी किया है।
Steal the Show Book Summary in Hindi
अगर आपको भी पब्लिक के सामने परफॉर्म करने में डर लगता है, तो फिर उस डर को एक तरीके से हराया जा सकता है
‘William Shakespeare’ ने लिखा है कि ‘पूरी दुनिया ही एक स्टेज की तरह है’. उनका मतलब था कि हम सभी के अंदर अभिनेता छुपा हुआ है. क्या कभी आपको खुद के अंदर कुछ यूनिक नहीं नज़र आया है?
आपका कोई जॉब इन्टरव्यू हो या फिर आपकी कोई प्रेजेंटेशन हो, या फिर आपको डेट पर जाना हो. लाइफ में ऐसी कई सिचुएशन आती हैं. जब हम चाहते हैं कि हमारे साथ कुछ स्पेशल हो, लेकिन आपके साथ स्पेशल कैसे होगा? ये आपके हांथों में ही है. आपको इस समरी में इन्ही सवालों के जवाब मिलने वाले हैं. आपको इस समरी में कई महत्वपूर्ण टिप्स और ट्रिक्स भी सीखने को मिलेंगी. जिनकी मदद से आप अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में काफी अच्छे बदलाव ला सकते हैं. अगर आपको भी रंग-मंच से प्यार है. अगर आप भी पब्लिक स्पीकर या फिर बड़े बिजनेस मैन बनना चाहते हैं, तो फिर इस समरी में बताई गईं टिप्स आपके लिए ही हैं.
तो फिर देर किस बात की है? अपनी पर्सनालिटी को बेहतर करने की प्रोसेस को आप अभी से शुरू कर सकते हैं. आपको उसके लिए कुछ ज्यादा नहीं करना है? आपको बस इस किताब की समरी को पढ़ने या फिर सुनने की शुरुआत कर देनी है.
तो चलिए शुरू करते हैं!
अगर आपको भी पब्लिक के सामने परफॉर्म करने में डर लगता है, तो फिर उस डर को एक तरीके से हराया जा सकता है।
आपके सामने तीन सीनेरियो हैं, उनके ऊपर विचार करना है. पहला मैनेजर अपने बॉस के साथ परफॉरमेंस रिव्यु मीटिंग अटेंड करता है. दूसरा- एक यंग टैलेंट कॉरपोरेट्स के महारथियों के सामने स्पीच दे रहा है. तीसरा- एक यंग टैलेंट बिजनेस इन्वेस्टर के सामने अपने आईडिया को पिच कर रहा है।
अगर खुद को इस सिचुएशन में डालने के नाम से ही आपके हाँथ कांप रहे हैं. तो फिर चिंता मत करिए, आप अकेले नहीं हैं. ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें लाइम लाइट में आने से डर लगता है. यही कारण है कि गूगल में पब्लिक स्पीकिंग को बहुत ज्यादा बार सर्च किया जाता है. पब्लिक स्पीकिंग के ऊपर विडियो डालते ही उसमे 90 मिलियन से ज्यादा हिट आ जाते हैं.
तो फिर क्या आपने कभी सोचा है कि पब्लिक स्पीकिंग के नाम से लोग इतना डरते क्यों हैं?
आपको पता होना चाहिए कि ये एक तरह का परफॉरमेंस ही होता है.. भले ही आप इंटरव्यू दे रहे हों, या फिर प्रेजेंटेशन दे रहे हों. आपको पता होना चाहिए कि आप एक तरह की एक्टिंग ही कर रहे हैं. आपको अपने अभिनय के दम से सामने वाले को इम्प्रेस करना है.
इस बात का बहुत बड़ा चांस है कि आपको इसके बारे में कभी भी ट्रेंड नहीं किया गया होगा. ना ही आपको ये बताया गया होगा कि इसे कैसे करना है? चाहे कैसा भी पब्लिक परफॉरमेंस हो, ये आपको कम्फर्ट ज़ोन से बाहर ले जाकर खड़ा कर देता है. आप बिना कम्फर्ट ज़ोन के बाहर गए हुए एक बढ़िया पब्लिक स्पीकर या फिर परफ़ॉर्मर नहीं बन सकते हैं.
लेकिन यहाँ एक चीज़ आपको सुनने में काफी अजीब लग सकती है. वो ये है कि हम सभी अभिनेता हैं. हाँ, ये बात सही भी है कि हम सभी अभिनेता हैं. भले ही आपको इस बात का अंदाजा हो या ना हो. लेकिन आप रोज़ अपनी लाइफ में अलग-अलग रोल प्ले करते रहते हैं. जब आप सोशल मीडिया यूज़ करते हैं या फिर आप अपनी डेटिंग प्रोफाइल बनाते हैं. तो फिर आप खुद को एक स्पेशल तरीके से प्रेजेंट करते हैं. वो भी एक तरह का अभिनय ही होता है. उस समय आपका टारगेट यही होता है कि सामने वाला आपकी प्रोफाइल से इम्प्रेस हो जाए।
आपका यही व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है. जब आप अपने ऑफिस में अपने बॉस से बात करते हैं. जब आप हॉलिडे में होते हैं तो फिर आपकी एक्टिंग पूरी तरह से बदल जाती है।
ये एक अच्छी खबर भी है. इसका मतलब साफ़ है कि आपको मालुम है कि रोल कैसे अदा किया जाता है. इसी समझ से आप अपनी परफॉरमेंस को नेक्स्ट लेवल पर लेकर जा सकते हैं. इसको आप एक्टिंग के क्रैश कोर्स की तरह भी ले सकते हैं. लेकिन इसको प्रोफेशनल लाइफ में अप्लाई करने के लिए आपको कुछ मेथड को सीखना ज़रूरी है.
उन मेथड्स की मदद से कैसे आप अपनी प्रोफेशनल लाइफ बदल भी सकते हैं? इसका एग्जाम्पल खुद इस किताब के लेखक हैं. वो मंझे हुए कलाकार होने के साथ ही साथ एक बेहतरीन लेखक और स्पीकर भी हैं.
आगे के चैप्टर्स में हम इसी अभिनय के महत्व को समझने की कोशिश करेंगे।
अपनी सच्ची आवाज़ का उपयोग करना आपके प्रदर्शन को और अधिक भरोसेमंद बनाता है
हर रोल के लिए स्क्रिप्ट और कपड़ों की ज़रूरत पड़ती है. प्रोफेशनल के लिए ये चीजें बड़ी कॉमन सी हैं. जब भी हम काम पर होते हैं तो फिर हम उसी तरह की ड्रेस कोड में भी होते हैं. हमारी बात-चीत भी उसी तरीके की होती है. हम अपने दोस्तों से जिस तरह से बात करते हैं. वैसी बातें हम ऑफिस के कांफ्रेंस रूम में नहीं करते हैं. हर सोमवार की सुबह हम वैसे नहीं होते हैं. जैसे हम संडे को थे. सोमवार की सुबह हम ऑफिस के ड्रेस कोड में रहते हैं.
ये एक्ट है लेकिन ये काफी ज़रूरी भी है. हम पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को मिक्स नहीं कर सकते हैं. अगर हम ऐसा करेंगे तो चीजें बुरी तरह से उलझ जाएँगी. अगर अकाउंट डिपार्टमेंट का आदमी हिसाब में अपने लेट नाईट बिल्स लगाने लगेगा. तो फिर कंपनी का भट्टा जाएगा.
लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि अपने रोल को निभाने के चक्कर में खुद को नहीं भूलना है. खुद की बिलीफ होती है, एक सिस्टम होता है, एक्सपीरियंस होते हैं. जिनकी मदद से आपकी पर्सनालिटी बनती है. यही एक्सपीरियंस बताते हैं कि आप असलियत में कौन हैं?
यहाँ आप रॉबिन रॉबर्ट्स का भी एग्जाम्पल ले सकते हैं. वो अमेरिकन शो ए.बी.सी गुड मॉर्निंग की एंकर रही हैं. उन्होंने खुल कर लोगों को ये बताया था कि वो लेस्बियन हैं. इसके बाद लोगों ने उन्हें अलग नज़रिए से देखना शुरू कर दिया था. उन्होंने अपनी पर्सनालिटी से ये प्रूफ किया था कि लेस्बियन होना कोई गुनाह नहीं है. एंकर होना उनकी प्रोफेशनल लाइफ है. लेकिन पर्सनली वो एक इंसान हैं, जिन्हें सेम सेक्स के प्रति आकर्षण है. इसके बाद उन्होंने अपनी प्रोफेशनल लाइफ ज़ारी रखी थी. लेकिन उन्हें गर्व था और होना भी चाहिए कि वो क्या हैं?
इस तरह सच के साथ खड़े होने की काबिलियत आपको दूर तक लेकर जाती है. अगर आप लीडर हैं तो फिर इस तरह की पर्सनालिटी होनी ही चाहिए. यहाँ पर आप फेसबुक की ‘Sheryl Sandberg’ का भी एग्जाम्पल देख सकते हैं. जिन्होंने अपनी किताब में अपने सारे एक्सपीरियंस के बारे में लिखा था. उन्होंने अपनी किताब में मदरहुड, वर्क, मैरिज तीनों पहलू के अपने एक्सपीरियंस को लिखा था. उन्होंने बताया था कि मेल डोमिनेंट सोसाइटी में एक औरत होना कितना कठिन है. इसी के साथ ही साथ उन्होंने अपने सारे अनुभव को किताब में उकेर दिया था. जिसके बाद मिलियन ऑफ़ रीडर्स ने इंस्पायर होकर अपनी-अपनी कहानी भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी.
अब यहाँ सवाल ये उठता है कि आप अपनी असल आवाज़ की पहचान कैसे कर सकते हैं?
इसकी शुरुआत आप इस तरह भी कर सकते हैं कि परफेक्शन मोड में जाने की कोशिश मत करियेगा. ओरिजिनल पर्सन बनने की कोशिश करिए क्योंकि आपकी यूनिक हिस्ट्री है. आपकी ज़िन्दगी की यूनिक कहानी को आप खुद ही जानते हैं. इसलिए इस कहानी के नायक बनिए और दुनिया को दिखा दीजिए कि आप अलग हैं.
सक्सेसफुल लोग खुद के प्रति ईमानदार रहते हैं, चीज़ों को एडाप्ट करना उनको आता है।
हमने पहले अथेंटीसिटी के बारे में बात की है. लेकिन उस टर्म को ठीक से समझाया नहीं है. आखिर ये होती क्या है? कई बार इसे ऐसे समझा जाता है कि आप खुद के प्रति सच्चे हैं कि नहीं हैं. ये गलत भी नहीं है. लेकिन फिर सवाल उठता है कि यहाँ किस पर्सपेक्टिव से बात हो रही है? कौन से सेल्फ के बारे में बात हो रही है?
साल 2015 में साइकोलॉजिस्ट ‘Herminia Ibarra’ ने हार्वर्ड बिजनेस में एक आर्टिकल लिखा था. उस आर्टिकल में उन्होंने लिखा था कि ‘सेल्फ कांसेप्ट’ से हमारी ग्रोथ रुक भी सकती है. इसी के साथ ही साथ इससे हमारे अंदर एडाप्ट करने की क्षमता बढ़ भी सकती है.
चलिए एडाप्टबिलिटी को थोड़ा और अनपैक करने की कोशिश करते हैं. सक्सेसफुल लोगों में एक चीज़ कॉमन होती है. वो अलग-अलग रोल्स में स्विच कर लेते हैं. इसका मतलब साफ़ है कि वो एडाप्ट कर लेते हैं.
एग्जाम्पल के लिए कोई आर्मी ऑफिसर जो कि समय का काफी पाबन्द होता है. लेकिन जब वो घर में अपनी बच्ची के सामने जाता है. तो कुछ और ही हो जाता है. दोनों ही किरदार में वो अथेंटिक होता है.
जब भी किसी के अंदर सेन्स ऑफ़ सेल्फ बहुत अधिक हो जाता है. तो फिर उनके अंदर सिंगल, बिना बदलने वाली सोच डेवलप होती है. ऐसी सोच का व्यक्ति अपने अंदर कुछ भी ज्यादा बदलाव नहीं लेकर आ सकता है. उसकी ज़िन्दगी में बड़े बदलाव नहीं हो सकते हैं. ऐसे इंसान अधिकत्तर अपनी पर्सनालिटी से ही संघर्ष करते रहते हैं.
हमेशा सेम रोल प्ले करने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए. ऐसा लेखक क्यों कह रहे हैं? ऐसा कहने के पीछे एक ही रीजन है. वो ये है कि ऐसा करने से भी कंफ्लिक्ट तैयार होते हैं. साथ ही साथ आपकी क्षमता भी कम होती जाती है. एग्जाम्पल के लिए मान लीजिए कि एक कॉमेडियन है. जो बिग बजट मूवी डायरेक्ट करना चाहता है. लेकिन जब वो इन्वेस्टर से मिलेगा तो उसे सीरियस नेस के साथ अपनी बात रखनी पड़ेगी. उसे उस समय जोक मूड में नहीं रहना चाहिए. कोई भी जोक्स के ऊपर करोड़ों रुपए नहीं लगाएगा.
अलग-अलग किरदार के ऊपर मास्टर करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है. आपको बस डे टू डे लाइफ में ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करनी चाहिए. आप ज्यादा से ज्यादा कैसे सीख सकते हैं? इसके लिए आपको ओब्सर्व करना सीखना पड़ेगा. कहते हैं ना कि “नज़रिया पैदा करिए, नज़र अपने आप सही हो जाएगी.”
मौजूदा समय को महसूस करिए, बेहतर लिसनर बनने की कोशिश करिए
‘डायलॉग ऑफ़ द डीफ’ के बारे में सुना है? ये ऐसे लोगों के बारे में कहा जाता है. जो लोग एक दूसरे की बातों को बिल्कुल भी नहीं सुनते हैं. वो बिना एक दूसरे को सुने हुए ही उस मौके का इंतज़ार करते हैं. जब वो अपनी बात दूसरों को सुना सकें. आपको याद रखना चाहिए कि लोग आपको तभी सुनेंगे. जब आपके अंदर उनको सुनने की क्षमता होगी.
आज के दौर में ये एक फ्रस्ट्रेट करने वाला माहौल देखने को मिल रहा है. जहाँ पर लोग एक दूसरे को सुनना ही नहीं चाहते हैं. लेकिन उनको ये पता होना चाहिए कि अगर आप एक दूसरे को सुन नहीं सकते हैं. तो फिर कभी भी आप अपनी बात को बेहतर तरीके से नहीं रख पायेंगे.
एक्टर्स इस बात को अपनी ट्रेनिंग के दौरान ही समझ जाते हैं. उन्हें पता चल जाता है कि अगर आपको ये नहीं पता होगा कि आपके चारों तरफ क्या चल रहा है? तो फिर आपकी परफॉरमेंस कभी भी अप टू द मार्क नहीं होगी. एक बेहतर अभिनेता वही हो सकता है. जिसे ये पता होना चाहिए कि उसके चारों तरफ क्या चल रहा है. आसान भाषा में कहा जाए तो अच्छे अभिनेता को बेहतर श्रोता होना ज़रूरी है.
इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि आप लिसनिंग को एक स्किल की तरह देखने की शुरुआत कर दीजिए. अब समय आ गया है कि आप इस स्किल को बेहतर करने के लिए काम भी शुरू कर दें.
न्यूरो साइंटिस्ट Seth Horowitz इसे ‘व्होल ब्रेन लिसनिंग’ भी कहते हैं. वो बताते हैं कि अगर आपके अंदर लिसनिंग की हैबिट है. तो फिर आपका फोकस बहुत अच्छा रहता है. आपको पता रहता है कि आपके लिए कौन सी चीज़ कितनी ज़रूरी है?
गुड लिसनिंग के साथ-साथ एक और स्किल की ज़रूरत पड़ती है. वो ये है कि क्या आप मौजूदा समय में रहते हैं? यानी क्या आपको मालुम है कि बींग इन मोमेंट में रहना क्या होता है?
इसका मतलब है कि अगर आप प्रेजेंटेशन दे रहे हैं. उस समय में ऑडियंस में से कुछ लोगों का ध्यान अपनी किताब में रहता है. तो आपको पता चल जाना चाहिए कि ये लोग आपकी बातों में ध्यान नहीं दे रहे हैं. अगर आप उस मोमेंट में प्रेजेंट रहेंगे तो आप फिर से उनसे कनेक्शन बना सकते हैं.
जब आप इस माइंड से कोई भी बात करेंगे तो फिर लोगों का ध्यान भी आपकी ही बातों में रहेगा. बींग इन मोमेंट से आपको काफी ज्यादा फायदा होगा. जब भी आप किसी से बात करें तो अपने कानों के साथ-साथ अपने हाव भाव को भी खुला रखियेगा. ऐसा करने से सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों को अच्छे से सुनेगा.
इन छोटी-छोटी आदतों को अपनाकर आप अपनी लाइफ को काफी ज्यादा बेहतर बना सकते हैं.
जब अभिनय की बात आती है, तब आप वास्तव में इसे नकली बना सकते हैं।
ऐसा अधिकत्तर लोगों के साथ होता है कि वो कांफ्रेंस रूम में इंटर कर रहे हों, या फिर स्पीच देने के लिए पोडियम में जा रहे हों. उस समय उन्हें काफी अजीब सा लगने लगेगा. उन्हें बेचैनी सी होने लगेगी.
कई लोगों को ऐसा भी लगने लगता है कि वो इस चीज़ के लिए नहीं बने हैं. कई लोगों के माथें से पसीना भी आने लगता है. पेट में अजीब सा लगने लगता है.
लेकिन यहाँ पर आपको ये बात पता होनी चाहिए कि ऐसा बड़े-बड़े अभिनेता को भी लगता है. जब भी वो अभिनेता स्टेज में जाते हैं. उसके पहले उनकी कुछ ऐसी ही हालत रहती है.
इसे अभिनय कहें जैसे कि, एक ऐसी तकनीक जो चिंता को दूर करने के लिए कल्पना का उपयोग करती है. आपको खुद को समझाना पड़ेगा कि ऐसा अजीब सा महसूस करना भी आपकी एक्टिंग ही है. आपको ऐसा करने के लिए कहा गया है. जब आप खुद को ऐसा एहसास दिला देंगे तो फिर आपको सब कुछ नार्मल ही लगने लगेगा.
कई साड़ी साइकोलॉजी रिपोर्ट में ये लिखा भी है कि ऐसा करने से सेन्स ऑफ़ पॉवर का जन्म होता है. इसी के साथ-साथ 25 परसेंट तक स्ट्रेस हॉर्मोन कम हो जाता है.
पॉवर ऑफ़ इमेजिनेशन का महत्व इस किताब में इसलिए बताया गया है क्योंकि लेखक ने खुद इसका अनुभव किया है. आप अपनी इमेजिनेशन की पॉवर से किसी भी मानसिक दिक्कत से निजात पा सकते हैं. इसके लिए आपको खुद के ऊपर भरोसा होना चाहिए.
अभिनय में बहुत पॉवर होती है. इसलिए कहा भी गया है कि “ज़िन्दगी को ऐसे जियो जैसे कि अभिनय कर रहे हो.”
Conclusion
आपको ये जान लेना चाहिए कि आप जन्म से ही अभिनय कर रहे हैं. इसलिए खुद को एक अभिनेता के रूप में ही देखने की शुरुआत कर दीजिए. अब तो आपको पता भी चल गया है कि अभिनय की मदद से आप अपनी लाइफ को बेहतर और आसान बना सकते हैं. इसके लिए बस कुछ स्किल्स पर आपको काम करना है. उन्ही में से एक लिसनिंग स्किल भी है.
क्या करें?
पब्लिक स्पीकिंग के समय पॉज के ऊपर आपको ध्यान देना चाहिए. जितना बोलना ज़रूरी होता है. उतना ही समय में रुकना भी ज़रूरी होता है. बोलते समय अपने हाव-भाव से लोगों का दिल जीतने की कोशिश करनी चाहिए. खुद के ऊपर विश्वास रखिये और पोडियम के ऊपर चढ़ जाइए. आने वाला समय आपका ही होने वाला है.
तो दोस्तों आपको आज का यह बुक समरी कैसा लगा ?
आपने आज क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
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