A/B Testing Book Summary in Hindi – अगर आप एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं तो ये बुक पढ़ें !

A/B Testing Book Summary in Hindi – A/B टेस्टिंग (A/B Testing) बुक समरी में हम देखेंगे कि किस तरह से आप अपनी वेबसाइट या वेबपेज को प्रभावशाली बना सकते हैं। यह किताब हमें वो तरीके बताती है जिनकी मदद से आप किसी काम को करने का सबसे बेहतर तरीका खोज सकते हैं और बिना अपनी मार्केटिंग के बजट को बढ़ाए ज्यादा प्राफिट कमा सकते हैं।

 

यह बुक समरी किसके लिए है ?

  1. वे जो एक मार्केटर हैं।
  2. वे जो मार्केटिंग के स्टूडेंट हैं।
  3. वे जो एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं।
  4. वे जो एक ब्लॉगर या वेबसाइट ओनर है।

 

लेखक –

 

डैन सिरोकर (Dan Siroker) स्क्राइब एआई के को-फाउंडर और सीईओ हैं। इससे पहले वे आष्टिमाइज़ली के को-फाउंडर रह चुके हैं। वे अपनी कंपनी को 0 से 90 मिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए जाने जाते हैं। 2008 में उन्होंने ओबामा के कैम्पेन में डाइरेक्टर ऑफ एनालिटिक्स की तरह काम किया था।

 

पीट कूमेन (Pete Koomen) आप्टिमाइज़ली के को-फाउंडर और सीटीओ हैं। इससे पहले वे गूगल के लिए काम कर चुके हैं।

 

 

A/B Testing Book Summary in Hindi – एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं तो ये बुक पढ़ें !

 

 

अगर आपको अपनी वेबसाइट को आप्टिमाइज़ करना है, तो आपको A/B टेस्टिंग का इस्तेमाल करना चाहिए।

 

अगर आप मार्केटिंग की दुनिया में काफी समय से काम कर रहे हैं, तो आप ने एक बात नौटिस की होगी – कभी कभी एक बहुत अच्छा लगने वाला आइडिया बुरी तरह से नाकाम हो जाता है तो कभी एक बकवास लगने वाला आइडिया बहुत अच्छे नतीजे पैदा करता है।

 

आसान शब्दों में दुनिया का कोई भी मार्केटर बिना किसी आइडिया को टेस्ट किए यह नहीं बता सकता कि वो आइडिया काम करेगा या नहीं।

 

इसलिए हर बड़ा मार्केटर अपने बिजनेस में A/B टेस्टिंग का इस्तेमाल करता है।

 

मतलब वो अपने आइडिया को बड़े स्केल पर लांच करने से पहले उसे छोटे स्केल पर लांच करके यह देखता है कि वो आइडिया काम कर रहा है या नहीं।

 

यह किताब बताती है कि किस तरह से आप भी A/B टेस्टिंग की मदद से यह काम आसानी से कर सकते हैं।

 

साथ ही यह किताब आपको A/B टेस्टिंग करने के कुछ दूसरे फायदों के बारे में भी बताती है।

 

आज के वक्त में इंटरनेट की मदद से ग्राहकों तक पहुंचना बहुत आसान हो गया है। एक वेबसाइट की मदद से आप यह काम मिनटों में कर सकते हैं।

 

लेकिन यहां पर एक समस्या है –

 

आपको यह कैसे पता लगेगा कि वेबसाइट पर किस चीज़ को इस्तेमाल करने से आप ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं?

 

आपको यह कैसे पता लगेगा कि कौन सी चीजें सिर्फ आपकी वेबसाइट का स्पेस खा रही हैं?

 

आपको यह कैसे पता लगेगा कि किसी काम को करने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है?

 

इसके लिए आप A/B टेस्टिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

A/B टेस्टिंग में आप अपनी वेबसाइट को अलग अलग तरह से डिजाइन करते हैं और हर डिजाइन को टेस्ट करके यह देखते हैं कि किस डिजाइन से सबसे ज्यादा ग्राहक आकर्षित हो रहे हैं।

 

एक्साम्पल के लिए 2008 में हुए ओबामा कैम्पेन को लीजिए। इस कैम्पेन में ओबामा की टीम ने एक पेज बनाया था जिसपर लोग या तो उन्हें डोनेशन दे सकते थे या फिर उनके न्यूजलेटर के लिए साइन अप कर सकते थे।

 

इस वेबपेज पर सबसे पहले ओबामा की टीम ने ओबामा और उनके बहुत सारे सपोर्टर्स की एक फोटो लगाई थी। लेकिन उन्हें लगा कि इस फोटो को लगाने से बहुत कम लोग साइन-अप कर रहे थे।

 

बाद में बहुत सी दूसरी फोटोज़ को टेस्ट करने के बाद यह पाया गया कि जब पेज पर ओबामा और उनके परिवार की फोटो लगाई गई, तब सबसे ज्यादा लोग साइनअप कर रहे थे।

 

इससे उनके साइनअप रेट्स 40% बढ़ गए जिससे उन्हें 28 लाख ज्यादा सब्सक्राइबर्स और 57 मिलियन डॉलर एक्ट्रा मिले थे।

 

पहले के वक्त में A/B टेस्टिंग करना बहुत महंगा पड़ता था। लेकिन आज हमारे पास आषटिमाइज़ली नाम के कुछ टूल्स आ गए हैं। इनकी मदद से A/B टेस्टिंग करना बहुत आसान हो गया है।

 

 

A/B टेस्टिंग करने के लिए आपको एक हाइपोथेसिस और कामयाबी की एक परिभाषा की जरूरत होगी।

 

अब तक आप समझ गए होंगे कि A/B टेस्टिंग में हम अपने पेज पर कुछ छोटे छोटे बदलाव कर के और उन्हें टेस्ट करके यह देखते हैं कि कौन सी चीज़ सबसे बेहतर काम कर रही है। यह कर पाने के लिए आपको सबसे पहले एक हाइपोथेसिस की जरुरत होगी।

 

हाइपोथेसिस में आप एक अंदाजा लगाकर यह बताते हैं कि क्या करने से आपके पेज से ज्यादा लोग आकर्षित होंगे।

 

एक्साम्पल के लिए अगर आप एक किताब बेचने के लिए एक वेबपेज बना रहे हैं, तो आपका अंदाजा कुछ ऐसा हो सकता है अगर हम पेज पर सबसे ऊपर लेखक की किताब के साथ एक फोटो लगा दें, तो लोग उस किताब को ज्यादा खरीदेंगे।

 

इसके बाद आप इस हाइपोथेसिस को टेस्ट करते हैं। आप एक पेज बनाते हैं जिसपर कोई फोटो नहीं लगी होती और एक पेज बनाते हैं जिसमें किताब का लेखक किताब अपने हाथ में लेकर खड़ा रहता है।

 

आप दोनों पेज पर कुछ विजिटर्स को भेजते हैं और यह देखते हैं कि किस पेज पर ज्यादा किताबें बिक रही हैं। अगर दूसरे पेज से ज्यादा किताबें बिकती हैं, तो आपकी हाइपोथेसिस सही निकली है।

 

दूसरी चीज़ जो आपको चाहिए वो है कामयाबी की परिभाषा। इससे पहले आप हाइपोथेसिस करें, तो आपको पता होना चाहिए कि आप किस गोल को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

 

क्या आपको ज्यादा सेल्स चाहिए? ज्यादा साइन अप चाहिए? ज्यादा लोगों के कमेंट और शेयर चाहिए? ज्यादा लाइक्स चाहिए?

 

एक बार आपको यह पता लग जाए कि आप उस पेज की मदद से किस गोल को हासिल करना चाहते हैं, तो आप हाइपोथेसिस करते हैं कि किस काम को करने से आप उस गोल को हासिल कर सकते हैं।

 

इसके बाद आप उस हाइपोथेसिस को टेस्ट करते हैं और फीडबैक लेते हैं।

 

फीडबैक के हिसाब से आप फिर से एक हाइपोथेसिस करते हैं और फिर से उसे टेस्ट करते हैं।

 

आप ऐसा तब तक करते रहें जब तक आप अपने पेज को पूरी तरह से पर्फेक्ट ना बना लें।

 

A/B टेस्टिंग की मदद से आप बड़े बदलाव ला सकते हैं।

 

अब तक हमने देखा कि किस तरह से आप अपने वेबसाइट में छोटे बदलाव कर के उसे बेहतर बना सकते हैं।

 

लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप A/B टेस्टिंग का इस्तेमाल सिर्फ छोटे बदलाव करने के लिए कीजिए। आप इसका इस्तेमाल बड़े बदलाव करने के लिए भी कर सकते हैं।

 

एक्साम्पल के लिए नेटफ्लिक्स को ले लीजिए।

 

2011 से पहले नेटफ्लिक्स का इंटरफेस अलग हुआ करता था। उसपर सिर्फ 4 शो दिखते थे, जिनके नीचे उनकी रेटिंग और एक प्ले बटन होती थी। अगर आपको उन चारों के अलावा कुछ देखना होता, तो आपको उसे सर्च करना पड़ता था।

 

बाद में नेटफ्लिक्स ने इसे सुधारने का प्लान बनाया। उनका गोल था लोगों को अपने वेबसाइट से बाँध कर रखना, ताकि वे एक के बाद एक शो देखते जाएं और लम्बे समय तक उनकी साइट पर टिके रहें।

 

इस गोल को पूरा करने के लिए उन्होंने मूवीज़ और टीवी शो की एक कभी ना खत्म होने वाली कतार लगा दी, जिसमें आप स्क्रोल करते जाएंगे और नए शो आपको मिलते जाएंगे।

 

उन्होंने अलग अलग कैटेगरी में अलग अलग फिल्मों को रखना शुरू किया ताकि लोग अपने पसंद की कैटेगरी में से अपने पसंद की मूवी को खोज सकें।

 

इस बदलाव को जब उन्होंने टेस्ट किया, तो उन्होंने पाया कि इससे लोग उनकी साइट पर बहुत लम्बे समय तक रुके रहते थे और वे एक के बाद दूसरे शो को देखते जाते थे। इस तरह से उनकी हाइपोथेसिस कामयाब हुई।

 

डिस्त्री ने भी कुछ समय पहले ऐसा ही किया था।

 

डाटा देखने पर उन्हें पता लगा कि लोग उनकी वेबसाइट पर आने के बाद कुछ खास शो और मूवीज़ को बहुत ज्यादा सर्च करते थे। उन्होंने अपने होमपेज को बदल दिया और वहाँ पर सारे पापुलर शो की एक लिस्ट दे दी, ताकि लोग होमपेज पर आते ही उन्हें वो शो और मूवीज मिल जाएं।

 

इससे उन्होंने देखा कि उनका एंगेजमेंट 6 गुना बढ़ गया। लोग उनकी साइट पर आने के बाद ज्यादा स्क्रोल, ज्यादा क्लिक और ज्यादा शो को देखने लगे थे।

 

इसी तरह से आप भी कुछ बड़े बदलाव करके यह पता कर सकते हैं कि उससे आपके गोल्स पूरे होंगे या नहीं।

 

 

अपनी वेबसाइट को बेहतर बनाने के लिए उसमें कम चीजों को रखिए।

 

बहुत से लोगों को लगता है कि अगर हम अपनी वेबसाइट पर लोगों को ज्यादा एक्शन लेने के लिए कहेंगे, तो वो ज्यादा एक्शन लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं है।

 

अगर आप अपनी वेबसाइट पर लोगों को ज्यादा एक्शन लेने के लिए कहेंगे, तो वे परेशान हो जाएंगे और बिना कुछ किए ही वापस चले जाएंगे।

 

इसलिए अपनी वेबसाइट को हमेशा साफ-सुथरा रखिए। जिन चीज़ों की जरूरत नहीं है, उनका इस्तेमाल बिल्कुल मत कीजिए।

 

अगर आपको अपने विज़िटर्स को ज्यादा फीचर देने हैं और उसके लिए आपको उनसे बहुत सी जगहों पर क्लिक कराना है, तो आप हाइड फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

एक्साम्पल के लिए अगर आपको अपने यूज़र से साइन अप कराना है, तो आप कहीं कोने में साइन अप का बटन दे सकते हैं। जब यूज़र उस बटन पर क्लिक करेगा, तो वो साइन अप कर सकता है।

 

साथ ही बेकार की चीजों को अपने साइट से निकालना शुरू कीजिए।

 

अगर आप किसी से एक फार्म भरवा रहे हैं, तो यह देखिए कि उस फार्म में आपको किस जानकारी की जरुरत नहीं है। आप अपने फार्म को जितना छोटा रखेंगे, उतने ज्यादा लोग उस फार्म को भरेंगे।

 

अगर आपको लोगों से एक लम्बा फार्म भरवाना है, तो आप उसे अलग अलग स्टेप्स और पेजों में बाँट दीजिए।

 

एक्साम्पल के लिए सोसल मीडिया प्लैटफार्म फेसबुक को ले लीजिए।

 

जब आप फेसबुक पर अकाउंट बनाने जाते हैं, तो वो आप से सबसे पहले सिर्फ आप नाम, ईमेल, जन्मदिन और जेंडर पूछता है।

 

एक बार आप जब इतनी जानकारी दे देते हैं, तो आपका अकाउंट बनकर तैयार हो जाता है। इसके बाद आप अपने प्रोफाइल पर जाकर दूसरी जानकारियाँ, जैसे अपना स्कूल, कालेज, एड्रेस, फोटो और इंट्रेस्ट भर सकते हैं।

 

इस तरह से फार्म को कई हिस्सों में बाँट देने से आप लोगों का काम आसान कर देते हैं, जिससे ज्यादा लोग फार्म को भरते हैं।

 

सही काल टु एक्शन का इस्तेमाल करके आप अपनी वेबसाइट को बेहतर बना सकते हैं।

 

अगर आप चाहते हैं कि आपकी वेबसाइट पर आने के बाद लोग कोई एक्शन लें, तो आपको उन्हें साफ साफ शब्दों में यह बताना होगा। इसे ही काल टु एक्शन कहा जाता है, जिसमें आप अपने यूज़र को एक निर्देश देते हैं।

 

एक्साम्पल के लिए क्लिंटन बुश हेटी फंड के डोनेशन पेज को ले लीजिए।

 

हेटी में आए भूकंप के बाद बहुत से लोग थे जो कि वहां की हालत सुधारने के लिए काम कर रहे थे।

 

इस पेज की मदद से वे लोगों से डोनेशन माँग रहे थे। शुरु में उन्होंने पेज पर “सब्मिट” बटन का इस्तेमाल कर रहे थे। बाद में उन्होंने इसे हटाकर “सपोर्ट हेटी” बटन का इस्तेमाल करना शुरू किया। इससे उन्हें बहुत अंतर देखने को मिला और उन्हें ज्यादा लोगों ने डोनोशन दिए।

 

कॉल टु एक्शन देने के लिए हमेशा वर्ब का इस्तेमाल कीजिए, ना कि नाउन का। लोगों को हमेशा कुछ करने के लिए कहिए और अपनी बात कहने के लिए आसान शब्दों का इस्तेमाल कीजिए।

 

एक्साम्पल के लिए लाइवचैट को ले लीजिए।

 

लाइवचैट ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फ्री ट्रायल दे रहा था। पहले उसने अपनी साइट पर “फ्री ट्रायल” का बटन इस्तेमाल किया था। लेकिन बाद में उन्होंने इसे बदल कर “ट्रायल इट फ्री” कर दिया।

 

इस एक छोटे से बदलाव से उसकी साइट उन्हें पर लगभग 15% ज्यादा क्लिक-थू रेट मिला।

 

 

A/B टेस्टिंग में नाकाम होने के भी अपने फायदे होते हैं।

 

A/B टेस्टिंग का इस्तेमाल सिर्फ वेबसाइट को आष्टिमाइज़ करना ही नहीं होता। इसकी मदद से आप दो बातें और जान सकते हैं – क्या काम नहीं कर रहा है और आपके ग्राहकों को क्या नहीं पसंद है।

 

A/B टेस्टिंग की मदद से जब आप किसी हाइपोथेसिस को टेस्ट करते हैं और आपका हाइपोथेसिस गलत निकल जाता है, तो इससे आपको यह पता लग जाता है कि उस काम को फिर से नहीं करना है।

 

समय के साथ आपको यह पता लग जाता है किन किन तरीकों का इस्तेमाल करने का कोई भी फायदा नहीं होता।

 

एक्साम्पल के लिए क्रोम को ले लीजिये –

 

एक्साम्पल के लिए जब क्रोम अपने बाइकिंग प्रोडक्ट बेच रहा था, तो उसने इमेज के बजाय वीडियो का इस्तेमाल करने के बारे में सोचा।

 

3 महीने तक इसे टेस्ट करते रहने के बाद उन्हें यह पता लगा कि वीडियो का इस्तेमाल करने से कोई फायदा नहीं होता है। अब उन्हें यह अच्छे से पता है कि आगे से कभी उन्हें फोटो या वीडियो में से किसी एक चुनना हो, तो वो किसी को भी चुन सकते हैं।

 

सिर्फ यही नहीं, A/B टेस्टिंग की मदद से आपको यह भी पता लग सकता है कि आपके यूजर्स को क्या पसंद आ रहा है और क्या नहीं।

 

एक्साम्पल के लिए IMVU को ले लीजिये –

 

IMVU के फाउंडर एरिक रईस को A/B टेस्टिंग की मदद से यह पता लगा कि उनके यूज़र्स को IMVU का कौन सा फीचर पसंद आ रहा है और कौन सा नहीं।

 

वे IMVU में अलग अलग फीचर डाल कर उसे टेस्ट करते थे। जिन फीचर्स को उनके ग्राहक ज्यादा इस्तेमाल करते, उन फीचर्स को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जाता था।

 

और जिन फीचर्स को कोई भी इस्तेमाल नहीं कर रहा था, उसे वे हटा देते।

 

इस तरह से, A/B टेस्टिंग में नाकाम होने के भी अपने फायदे होते हैं।

 

इसलिए A/B टेस्टिंग को अपनी कंपनी के कल्चर का हिस्सा बनाइए।

 

आज भी बहुत से बिजनेस हैं जो A/B टेस्टिंग का इस्तेमाल अपनी कंपनी में नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि यह बहुत मुश्किल काम है और इसे करने में बहुत समय बरबाद होगा।

 

लेकिन क्योंकि आपको अब A/B टेस्टिंग का महत्व पता लग गया है, आप इसे अपनी कंपनी के कल्चर का हिस्सा बनाने की कोशिश कीजिए।

 

अपनी कंपनी में लोगों को समय समय पर A/B टेस्टिंग करके यह दिखाते रहिए कि एक छोटा सा बदलाव करने से उनका कन्वर्ज़न रेट कितना बढ़ जाता है।

 

उन्हें अलग अलग कैम्पेन में A/B टेस्टिंग से निकले नतीजों को दिखाइए।

 

जब आपको किसी A/B टेस्टिंग से बहुत अच्छा नतीजा देखने को मिले, तो उसे अपनी टीम के लोगों को दिखाइए, ताकि वे डाटा के हिसाब से अपने बिजनेस को चलाना सीख सकें।

 

एक्साम्पल के लिए लिज्ज़ी एलन को ले लीजिए जो कि 2010 से IGN में एक एनालिस्ट की तरह काम कर रही हैं। जब उन्होंने IGN जाइन किया था, तो उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि उस कंपनी में आज तक किसी ने भी A/B टेस्टिंग का नाम नहीं सुना था।

 

इसके बाद लिज्ज़ी ने एक महीने तक लोगों को A/B टेस्टिंग के बारे में बताया। वे मीटिंस करती थीं और उसमें लोगों को अलग अलग आइडियाज़ दिखातीं थीं। वे उनसे पूछती थीं कि उनके हिसाब से कौन सा आइडिया सबसे बेहतर नतीजे पैदा करेगा।

 

लोग अपनी अपनी जानकारी के हिसाब से अलग अलग आइडियाज़ पर वोट देते थे और वे अक्सर नाकाम हो जाया करते थे।

 

इससे उन्हें यह पता लगा कि वे अभी कितना कुछ नहीं जानते हैं और A/B टेस्टिंग की मदद से वे अपने काम करने के तरीके को कितना बेहतर बना सकते हैं।

 

इसी तरह से आप भी अपनी कंपनी में लोगों को डाटा-ड्रिवेन अप्रोच अपनाने के लिए कहिए। हम गलत हो सकते हैं, लेकिन डाटा कभी गलत नहीं होता।

 

 

Conclusion –

 

मार्केटिंग की दुनिया में आप कभी यह नहीं जान सकते कि आपके ग्राहकों को क्या पसंद आएगा।

 

इसलिए आपको हर चीज को टेस्ट करके देखना चाहिए ताकि आपको यह पता लग सके कि किसी काम को करने का सबसे प्रभावशाली तरीका कौन सा है।

 

A/B टेस्टिंग इसमें आपकी मदद कर सकता है। इससे आपकी मार्केटिंग के बहुत सारे पैसे बचेंगे।

 

साथ ही इससे आपकी कंपनी को यह पता लगता जाएगा कि कौन सी चीजें काम करती हैं और कौन सी नहीं, जिससे समय के साथ वो समझदार बनती जाएगी और कम टेस्ट करके ही अच्छे नतीजे पैदा कर पाएगी।

 

क्या करें?

 

आप्टिमाइज़ली का इस्तेमाल करें।

 

अगर आपके पास A/B टेस्टिंग करने के लिए टेक्नोलॉजी नहीं है, तो आप आप्टिमाइज़ली जैसे टूल्स का इस्तेमाल करके भी अपना काम कर सकते हैं। आप्टिमाइज़ली की मदद से आप बिना किसी डाटा टीम के भी A/B टेस्टिंग कर पाएंगे।

 

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 तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह “A/B Testing Book Summary in Hindi – अगर आप एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं तो ये बुक पढ़ें !” कैसा लगा, अगर आपका कोई सवाल और सुझाव या कोई प्रॉब्लम है वो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस “A/B Testing Book Summary in Hindi – अगर आप एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं तो ये बुक पढ़ें !” को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

 

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

2 thoughts on “A/B Testing Book Summary in Hindi – अगर आप एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं तो ये बुक पढ़ें !”

  1. हर ब्लॉगर और डिजिटल entrepreneur के लिए यह बुक बहुत अमूल्य है। esko aapki site par padhne aur samajhane mein pura ek deen ka time laga. Aapko Dil se dhanyawad. As a blogger mere liye ye summary bahut jyada useful rahi. Bahut saari tricks & Techniques ko seekha.

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