ये कहानी है एक प्राइमरी टीचर की है। जो एक छोटे से गाँव के एक स्कूल में पढ़ाते थे। वो अपनी लाइफ को बहुत ही अच्छे से जी रहा था, मतलब सब कुछ उनके हिसाब से चल रहा था। उनका एक बेटा था और एक बेटी थी। बेटे, जिसकी पढाई पूरी होने वाली थी और बेटी, जिसकी शादी की उम्र हो चली थी। एक धर्मपत्नी थी, जो उनको हर तरीकेसे हेल्प करती थी।
मतलब एक छोटी सी फॅमिली थी जो अपने लाइफ में एकदम खुश थी। लेकिन एक दिन की बात है की उन मास्टर जी की दिमाग में एक ख्याल आया, जिसने सब कुछ तबाह कर दिया। मास्टर जी को अपने ऊपर गर्व होने लगा, की उनकी वजह से उनके घरवाले सभी खुश है।
यानी उनके दिमाग में एक बुरे ख्याल आ गए की मैं हूँ तो मेरे घरवाले है। मेरे वजह से ही सब कुछ चल रहा है। मैं नहीं तो इनकी जिंदगी तबाह हो जाएगी।
एक दिन यही छोटा सा ख्याल घमंड में बदल गया, और उनको पता ही नहीं चला।
एक दिन बैठे बैठे खुदके बारे में सोच रहे थे तो उनको लगा की मैं दिन व दिन गलत इंसान बन रहा हूँ।
बार बार यही ख्याल उनकी जिंदगी में बढ़ता जा रहा था। और आजकल हर चीज में इन्हें घमंड आने लगा था।
एक दिन गाँव में एक महात्मा आये।
महात्मा का प्रव्चन था। और ये मास्टर जी भी गए उनके प्रवचन सुनने के लिए। और वहां पर यानी महात्मा जी ने जो प्रवचन दिया था, वहां पर संयोग से इसी टॉपिक यानी घमंड (EGO) के ऊपर ही प्रवचन दे रहा था। और मास्टर जी ने सोचा की ये मेरे बारे में बातें कर रहा है। तो उनका ध्यान पूरा उनके प्रवचन पर थे।
महात्मा जी बता रहे थे की “इस दुनिया में किसी को भी घमंड नहीं करना चाहिए। हमे ये नहीं सोचना ये नहीं सोचना चाहिए की मैं ही सब कुछ हूँ। मेरी वजह से ही सब कुछ चल रहा है। मेरी वजह से मेरे घर चल रहा है, मेरी वजह घरवाले खुश है। मेरी वजह से मेरे ऑफिस चल रहा है, मेरी वजह से कंपनी चल रही है। मेरी वजह से देश चल रहा है। हमे ऐसे कभी सोचना नहीं चाहिए।”
और बोले “इस दुनिया में तो कई लोग और कई लोग गए, लेकिन ये देश, ये दुनिया वैसी की वैसी ही है। परफेक्ट रहती है, खुशहाल रहती है, हाँ कभी कभी चुनौतियाँ आ भी जाती है, लेकिन हमे ये सोचना बंद करना चाहिए, क्यूँ ? क्यूंकि घमंड राजा रावण का नहीं चला !”
महात्मा जी ने अपनी बात पूरी की। प्रवचन खत्म हुआ।
अब मास्टर जी उनके पास गए और जा करके उनसे बोला की “बड़ा अच्छा लगा आज आपका जो प्रवचन था, संयोग से वही था जिसके बारे में मैं अंदर से बहुत परेशान हूँ। मुझे ऐसा लगा की मैं घमंडी हो गया हूँ।”
तो महात्मा जी बड़े धीरज से उनसे पूछे की “क्या सवाल है आपका मास्टर जी ? आप कैसी दुविधा में पड़े हैं ? मुझे पूछ सकते हैं आप!”
तो मास्टर जी बोलने लगे की “महात्मा जी, मुझे ऐसा लग रहा है की मेरी वजह से मेरे घरवाले खुश है, मेरी वजह से मेरे घर चल रहा है, मेरी वजह से स्कूल चल रहा है, अगर मैं चला गया तो ये लोग परेशान होंगे, इनकी लाइफ बर्बाद हो जाएगी। तो ये कैसे चलेगा ?”
तो महात्मा जी ने कहा की “तुम्हारे घमंड का बहुत ही सरल सा समाधान है। एक काम करो तुम दो साल के लिए इस गाँव को छोड़ करके शहर चले जाओ, वहां जाकरके कोई नौकरी करो, वहां पैसा कमाओ और यहाँ की चिंता छोड़ दो, लेकिन जब यहाँ से जाओ तो किसी को कुछ मत बताना।”
तो मास्टर जी ने कहा “तो घर वाले चिंता नहीं करेंगे की कहाँ चला गया ??”
तो महात्मा जी बोले “वो मुझ पर छोड़ दो, मैं सब ठीक कर दूंगा।”
महात्मा जी की बात थी तो मास्टर जी ने मान ली। और अगले दिन स्कूल से निकलने सीधे शहर में चले गए मास्टर जी।
महात्मा जी ने बात फैला दी की “एक शेर आया हमारे आश्रम में और आ करके हमारे एक भक्त को उठा करके ले गया और उसकी शायद मौत हो गयी। वो जो भक्त था वो टीचर था।”
तो ये बात उस मास्टर जी के फॅमिली को भी पता चला, और मास्टर जी के फॅमिली में सब दुखी हो गए।
क्यूंकि मास्टर जी के बेटी की शादी करने की भी समय हो आयी थी। तो सभी बहुत परेशान थी।
गाँव वाले भी परेशान हुए। कहने लगे ये तो इन मास्टर जी के फॅमिली के साथ बहुत बुरा हुआ।
गाँव में मीटिंग बैठाया गया और मास्टर जी के पत्नी को भी वहां पर बुलाया गया। तो मास्टर जी पुरे फॅमिली (पत्नी, बेटा और बेटी) वहां पर गए।
वहां पर गाँव वालों ने कहाँ की “भाभी जी आप चिंता मत कीजिये। हम सब कुछ ठीक कर देंगे। हम आपकी सहायता करेंगे।”
तो गाँव वालों ने पैसा इकट्ठा किया और मास्टर जी बेटी की शादी करवा दी।
मास्टर जी की बेटी की शादी धूमधाम से हो गयी।
और जो बेटा था, उनके पढाई पूरी हो गयी थी तो उनको गाँव के मुखिया का जो बिज़नेस था, उसमें मुखिया ने नौकरी पे रख लिया।
उसके कुछ महीने बाद कुछ परीक्षा दी, तो उसको सरकारी नौकरी लग गयी थी।
अब फिर से दो साल के अंदर सब कुछ वैसा ही वापस हो गया जैसा पहले था।
दो साल के बाद में मास्टर जी वापस शहर से आते हैं अपने गाँव में और आ करके देखते हैं की उनके घर में ख़ुशी का माहौल है। सब कुछ परफेक्ट चल रहा है। घर वाले उस संकट से उबर चुके थे।
अब मास्टर जी को समझ में आ गया की दुनिया में किसी के भी होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, किसी के रहने से या ना रहने से कोई काम बंद नहीं होता, सब इंसान इस दुनिया में अपनी किस्मत, अपनी मेहनत से खा रहे हैं।
वो अंदर आये और घर वालों से माफ़ी मांगी।
घर वाले उनको देख कर चौंक गए और बहुत खुश थे उनको देख कर।
तब मास्टर जी ने सारी बातें समझाई घरवालों को और मेरे घमंड को तोड़ने के लिए उस महात्मा जी ने ये समाधान दिया था।
तो घरवालों ने वो सारी बातों को सुना और मास्टर जी को गले लगा लिए।
दोस्तों ये छोटी सी कहानी हमे बहुत बड़ी बात सिखाती है की अगर हम ये सोचते हैं की हमारी वजह से ही सब कुछ चल रहा है, तो हम गलत सोच रहे हैं।
क्यूंकि आप ने पढ़ा ही है की कैसे उस मास्टर जी के ना होने से भी उनके घरे के जो काम था वो सभी सम्पूर्ण हो गए और घर वाले खुश थे।
रावण का घमंड यानी अहंकार की वो पूरी ब्रह्माण्ड में सबसे शक्तिशाली है, और उन्होंने मनुष्य को तुच्छ समझता था और वही राम मतलब स्वयं भगवान् मनुष्य के रूप में अवतार लेकर उस घमंडी रावण का घमंड तोड़ दिया।