Think Like an Entrepreneur Book Summary in Hindi – हर Employee को जरूर पढ़ना चाहिए

Think Like an Entrepreneur Book Summary in Hindi – Hello दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक बहुत ही बढ़िया बुक समरी लेके आया हूँ, जो बुक सिर्फ उनके लिए लिखा गया है, जो खुद को एक Entrepreneur के रूप में देखना चाहते हैं।


 दुनिया के बहुत से लोग एक कर्मचारी हैं जो कि अपने काम से बहुत प्यार  करते हैं। वे भी कुछ बड़ा करना चाहते हैं और अपने कैरियर में आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अपनी कंपनी से उतनी आजादी नहीं मिलती। साथ ही कभी कभी मार्केट के हालात बदलने से उन्हें अपने काम से हाथ भी धोना पड़ता है।


 यह किताब बताती है कि किस तरह से एक कर्मचारी खुद को अपने काम में बेहतर बना सकता है। यह किताब बताती है कि किस तरह से आप एक आन्त्रप्रिन्योर की तरह सोच कर एक सीईओ की तरह एक्शन ले सकते हैं। इस किताब की मदद से आप जिम्मेदारी लेना सीख कर ना सिर्फ अपने काम को बेहतर तरीके से करना सीखेंगे, बल्कि अपने सपनों को पाने के तरीकों के बारे में भी जान पाएंगे।

इस समरी को पढ़कर आप सीख सकते हैं –

 

  • एक नई कंपनी में किस तरह से आप अपने काम की शुरुआत कर सकते हैं।
  • किस तरह से आप अपने गोल्स को हासिल कर सकते हैं।
  • किसी कंपनी को छोड़ते वक्त आपको किस तरह से बर्ताव करना चाहिए।

 

Think Like an Entrepreneur, Act Like a CEO Book Summary in Hindi

 

एक नई शुरुआत को एक अच्छे प्लान की जरूरत होती है।



 जब आप किसी कंपनी में नए नए जाएंगे, तो आपको सबसे पहले वहाँ पर खुद को साबित कर के दिखाना होगा। लोग आपके लिए नए होंगे और हालात शायद आपका साथ ना दें। ऐसे में आपको इंतजार नहीं करना है कि कोई आकर आपको कुछ बताए। बल्कि आपको खुद से जिम्मेदारी
लेकर अपने कैरियर को आगे लेकर जाना है। सबसे पहले यह पता कीजिए कि आपके बॉस को क्या चाहिए।


 अगर आपको किसी ने नहीं बताया कि आपको करना क्या है, तो सबसे पहले यह पता कीजिए कि आप अपने सुपीरियर्स को किस तरह से खुश रख सकते हैं। कुछ समय बिताने के बाद आपको यह पता लगने लगेगा
कि आपके गोल्स क्या हैं। एक बार आपके हाथ में आपके गोल्स हों, आप उनमें से सबसे जरूरी गोल को चुनिए और उसे हासिल करने पर काम करना शुरु कर दीजिए।


 साथ ही छोटे छोटे गोल्स पर भी ध्यान देना मत भूलिए। जब आप किसी भी नई कंपनी में जाएं, तो आप शुरुआत के 4 से 6 हफ्ते तक अपना पूरा जोर लगा दीजिए। इस तरह से हमेशा काम करना संभव नहीं है, लेकिन नई कंपनी में अपनी पहचान बनाने के लिए आपको यह करना होगा। कुछ समय के बाद आप वापस अपने पुराने रुटीन को अपना सकते हैं और एक नार्मल लाइफ चुन सकते हैं।


 इस 4 से 6 हफ्ते की प्लानिंग कीजिए और इसमें अपने कैरियर को आगे लेकर जाने की कोशिश कीजिए। लेकिन साथ ही खुद को ठंडा रखने के लिए कुछ राहत पहुंचाने वाले काम करते रहिए। कसरत करना और अच्छा खाना खाना तनाव कम करने के लिए कुछ बहुत ही जरूरी काम हैं।



किसी भी संस्था में आगे निकलने के लिए आपको एक आन्त्रप्रिन्योर के माइंडसेट की जरूरत होगी।



बहुत से लोग बैठकर दूसरों के आर्डर्स का इंतजार करते रहते हैं। जबकि कुछ लोग सारे सिस्टम और अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और उसके हिसाब से खुद काम करते हैं। इस तरह के लोगों को इंप्ट्राप्रिन्योर कहा जाता है। इंप्ट्राप्रिन्योर को पता होता है कि उन्हें करना क्या है और वे बिना किसी के आर्डर का इंतजार किए अपना काम करने लगते हैं। वे अपने पहले आइडिया को तब तक बेहतर बनाते रहते हैं जब तक वो कामयाब ना हो जाए। आगे निकलने के लिए आपको भी एक इंप्ट्राप्रिन्योर बनना होगा।


 इंट्राप्रिन्योर बनने के लिए आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि आपकी कंपनी या आपकी संस्था किस मकसद को हासिल करने के लिए काम करती है। इसके बाद आपको खुद से प्लान बनाना होगा और यह सोचना होगा कि किस तरह से आप कंपनी को आगे लेकर जा
सकते हैं


 आपको यह समझना होगा कि आपका बिजनेस किस तरह से काम कर रहा है। आपको यह जानना होगा कि प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग कैसे होती है, अलग अलग डिपार्टमेंट किस तरह से काम करते हैं। आपको अपनी कंपनी के हर पहलू को अच्छे से समझना होगा ताकि आप यह जान सकें कि आपके काम का क्या महत्व है। जब तक आप बड़े पिच्चर को नहीं देखेंगे तब तक आपको अपना महत्व नहीं समझ में आएगा।


 साथ ही आप अपने ग्राहकों को भी समझिए। यह देखिए कि आपकी कंपनी किस तरह से ग्राहकों की जिन्दगी बदलने का काम कर रही है। फिर यह देखिए कि आप किस तरह से उन्हें अच्छी सर्विस दे सकते हैं। अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों पर भी ध्यान दीजिए। यह सोचिए कि आप कंपनी के कलचर को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं।
अंत में हारने से दोस्ती कर लीजिए, क्योंकि यह आपका पीछा कभी भी नहीं छोड़ने वाला। आप इससे डरिए मत, वरना आप नए काम करना और रिस्क लेना बंद कर देंगे।

कभी मौके का फायदा उठाने से पीछे मत हटिए।



रिजेक्शन सहना जिन्दगी का एक हिस्सा है और आपको इससे निकलने के तरीके सीखने होंगे।



 जितने भी लोग महान बने हैं, उन्हें बहुत से लोगों ने निकम्मा समझ कर रिजेक्ट किया है। महानता के रास्ते में आपको रिजेक्शन नाम का एक पड़ाव जरूर मिलेगा। ऐसे में शिकायत करने क बजाय आपको इससे निकलने के तरीके सीखने चाहिए।


 इससे निकलने का सबसे पहला तरीका है अपनी भावनाओं के बारे में लिखना। आप एक डायरी बनाइए और उसमें वो सब कुछ लिखिए जो आप महसूस कर रहे हैं। इससे आप खुद को अपनी भावनाओं से अलग कर के उन्हें एक बाहरी व्यक्ति की नजर से देखते हैं।


 इसके अलावा आप अपने साथ एक आभार जताने वाली डायरी भी रखिए। इसमें आप हर दिन यह लिखिए कि आप किस चीज़ के लिए शुक्रगुजार हैं। उन लोगों के बारे में लिखिए जो आपकी जिन्दगी को बेहतर बना रहे हैं। इससे आप अपनी जिन्दगी में हो रही अच्छी बातों पर ध्यान दे
पाएंगे।


 आप अपने साथ के लोगों से अपनी परेशानी को बाँटिए। इससे आपके मन का बोझ हल्का होगा और आप दूसरों की राय लेने से दुनिया को एक अलग नजरिए से देख भी पाएंगे। आपके दोस्त और आपका परिवार मुश्किल वक्त में आपको संभाल सकता है। इसलिए कभी भी अपनी परेशानी को अपने तक मत रखिए।


 आप उन लोगों का धन्यवाद कीजिए जिन्होंने अब तक आपकी मदद की है। इससे आप अपने रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं, जिससे आगे चलकर वो रिश्ते आपके काम आ सकते हैं।



एक सीईओ की तरह सोचकर आप खुद को आने वाले हालात के लिए तैयार कर पाएंगे।



 बदलाव शायद किसी को अच्छा नहीं लगता, क्योंकि हालात बदलने पर हमें खुद को बदलना होता है। हमें वो चीजें सीखनी होती हैं जो हमें नहीं आती है और वो काम करना पड़ता है जो हम नहीं करना चाहते। लेकिन यह चाहे अच्छा लगे या बुरा, बदलाव हमारी जिन्दगी का एक हिस्सा है जिससे बचने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते। ऐसे में, हमें इसके लिए खुद को तैयार करना सीखना चाहिए।


 इसलिए आपको एक सीईओ की तरह सोचना होगा। आपको यह देखना होगा कि आपकी कंपनी किस तरह से काम कर रही है और बदलती सरकार, बदलते नियम और बदलते मार्केट के हालात के हिसाब से आपकी कंपनी में क्या बदलाव आ सकते हैं। आपको यह देखना होगा कि वो बदलाव क्यों जरूरी है और उसके हिसाब से आपकी जिन्दगी या आपकी कंपनी का बदलना क्यों जरूरी है।


 इन बातों पर लगतार ध्यान देते रहने से आप होने वाले बदलाव के बारे में पहले ही पता लगा सकते हैं और उसके हिसाब से खुद को बदलने के लिए प्लान बना सकते हैं। आप सिर्फ अपनी जिन्दगी के बारे में मत सोचिए, बल्कि एक बड़े पिच्चर को देखिए। यह देखिए कि उस बदलाव के होने से आपके साथ साथ कितने सारे लोगों पर असर होगा। किन लोगों को फायदा होगा और किसे नुकसान होगा। इससे आप इस बदलाव को पर्सनली नहीं लेंगे। आपको यह नहीं लगेगा कि भगवान आपके साथ बुरा कर रहा है या
फिर आपकी किस्मत खराब है। जब आप ऐसा नहीं सोचेंगे तो आपको यह लगेगा कि आप हालात को काबू कर सकते हैं और आप उससे बाहर निकलने का रास्ता भी खोज पाएंगे।


 जब आप इन समस्याओं को पहले से ही भाँप लेंगे, तो आप पैसों का इंतजाम भी कर पाएंगे। इससे आप भविष्य में आने वाली परेशानियों को कुछ हद तक सुलझा कर अपने ऊपर के प्रेशर को कम कर पाएंगे। जब आप भविष्य की चिंता से आजाद होंगे, तो आप इस समय के कामों पर भी अच्छे से ध्यान दे पाएंगे।



 

तारीफ को अपनाना सीखिए क्योंकि इससे आप खुद के पर्फार्मेंस को अच्छा बना सकते हैं।



 बहुत बार जब हमारे काम के लिए कोई हमारी तारीफ करता है, तो हम अच्छा बनने के लिए कहते हैं – “अरे, इसमें क्या बड़ी बात थी”, “ये तो कुछ भी नहीं था। लेकिन इस तरह का बर्ताव करने से आप ना सिर्फ खुद को बल्कि सामने वाले के मूड को भी खराब कर रहे होते हैं। सबसे पहले तो जो व्यक्ति आपकी तारीफ कर रहा है, वो आपके उस काम को लेकर पाजिटिव महसूस कर रहा है। जब आप उसे यह एहसास दिलाते हैं कि वो काम तो कुछ भी नहीं था, या आप सारा क्रेडिट किसी दूसरे व्यक्ति को दे देते हैं, तो आप सामने वाले को यह बताते हैं कि आप उस तारीफ के लायक नहीं हैं। इस वजह से वो व्यक्ति अगली बार से आपकी पर्फार्मेंस पर ज्यादा तारीफ नहीं करता।


 साथ ही आप जब उस तारीफ को अपना नहीं रहे हैं, तो आप खुद का एक इनाम लेने से इनकार कर रहे हैं। तारीफ से आपको एक एनर्जी मिलती है, जिससे आप अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाते हैं। उस चीज़ को न अपनाने से आप अपने काम में बेहतर नहीं बन पाते हैं। तो आखिर किस तरह से आप तारीफ को अपना सकते हैं? इसके लिए आप 5 स्टेप्स का इस्तेमाल करना होगा सबसे पहले आप एक थै क्यू कहिए और सामने वाले को यह दिखाइए कि आप उस तारीफ को सुनकर खुश हैं।


 इसके बाद यह कहिए कि आपको भी अपने काम के नतीजों को देखकर अच्छा लग रहा है और गर्व महसूस हो रहा है। आप चाहें तो उसे अपनी कहानी सुना सकते हैं कि किस तरह से आपको दिमाग में यह आइडिया आया या फिर किस की मदद की वजह से यह काम पूरा हो पाया। दूसरों को क्रेडिट देना मत भूलिए। यह बताइए कि किसने इस सफर में आपकी मदद की।


 चौथे स्टेप में आप सामने वाले की भी एक छोटी से तारीफ कीजिए। आप उन्हें यह कह सकते हैं कि किस तरह से उनकी इन पाजिटिव बातों से आपको और अच्छा काम करने का हौसला मिलता है। आप उन्हें यह बता सकते हैं कि किस तरह से सामने वाले व्यक्ति का भी आपकी कामयाबी
में हाथ है।


 अगर सामने वाला काफी समय से आपकी तारीफ किए जा रहा है और रुक ही नहीं रहा, तो आपको किसी दूसरे टापिक पर बात करना शुरू कना चाहिए। ज्यादा तारीफ करने से एक व्यक्ति को अजीब महसूस होने लगता है।


 अगर आपको भी ऐसा महसूस होता है तो बात को घुमाने में कोई गलत बात नहीं है।



शुगर ग्रेन प्रिंसिपल की मदद से आप अपने सपनों को हासिल कर सकते हैं।



 लेखिका जब छोटी थीं, तो उन्हें चाय में बहुत चीनी मिला कर पीने की आदत थी। उन्हें पता था कि उनकी सेहत के लिए यह अच्छा नहीं है, लेकिन वो खुद को मीठी चाय पीने से रोक नहीं पाती थी। इसलिए उन्होंने कहा कि वे हर दिन अपने चाय में चीनी के कुछ दाने कम डालेंगी। वो हर दिन अपने चम्मच में से थोड़ी थोड़ी चीनी कम कर के चाय में मिलाने लगीं और साल बीतते बीतते उनकी आदत सुधर गई।


 इसके बाद उन्होंने इसी तरीके को अपनाया और अपनी जिन्दगी में बहुत सी चीजों को हासिल किया। उन्होंने इसका नाम शुगर ग्रेन प्रिंसिपल रखा। इस तरीके के इस्तेमाल से आप बड़े लगने वाले गोल्स को छोटे छोटे स्टेप्स में हासिल करना सीख सकते हैं। इसका इस्तेमाल आप पाँच स्टोप्स में कर सकते हैं।


 सबसे पहले यह सोचने की कोशिश कीजिए कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं और यह सोचिए कि उस चीज़ को हासिल कर लेने के बाद आपकी जिन्दगी किस तरह से बदल जाएगी।


 इसके बाद आप यह सोचिए कि उस चीज़ को हासिल करने के लिए आपको कौन कौन से काम करने होंगे। यहाँ पर आप तीन गोल्स को सेट कीजिए, जिन्हें पूरा करने पर आप अपने सपनों को हासिल कर लेंगे।


 इसके बाद आप उन छोटे छोटे स्टेप्स के बारे में सोचिए, उन छोटे छोटे कामों के बारे में सोचिए जिसे करने से आप अपने गोल्स को पूरा कर पाएंगे। इन कामों को हर रोज करने से आप एक रफ्तार बना पाएंगे और खुद को एक्टिव रख पाएंगे। समय के साथ यह काम करना आपको आसान लगने लगेगा और आप इन छोटे छोटे कामों को करते हुए अपने गोल्स के नजदीक पहुंचने लगेंगे।


 इसके बाद यह तय कीजिए कि आपको अपने गोल्स को कितने समय में हासिल करना है। अगर आपको उस गोल को पूरा करने की जल्दी नहीं है, तो आप हफ्ते में सिर्फ एक बार भी उस काम को करेंगे तो भी वो काफी होगा। लेकिन अगर आपको उसे एक समय से पहले पूरा करना है, तो आपको एक ऐसी रफ्तार तय करनी होगी कि आप उस समय के अंदर तक अपने उस गोल को हासिल कर लें।


 अंत में, आप यह देखिए कि अब तक आप कैसा पर्मि कर रहे हैं। आप हर रोज अपने प्रोग्रेस को नापिए और यह देखते रहिए कि आप अपने गोल के कितने नजदीक पहुंच चुके हैं। इससे आपको यह पता लगता रहेगा कि कब आप धीरे चल रहे हैं। इससे आप खुद को लाइन पर रख पाएंगे और भटकने से रोक पाएंगे।



अपने काम को छोड़ते वक्त भी आप लोगों से अपने रिश्ते को बिगड़ने मत दीजिए।



 बहुत बार जब लोगों को काम से निकाला जाता है यावो खुद काम छोड़ रहे होते हैं, तो वो सभी लोगों पर अपनी भड़ास निकाल कर कंपनी से जाते हैं। काम से निकाले जाने पर वे बहुत गुस्से में रहते हैं और वो यह फैसला करते हैं कि वे हर किसी से रिश्ते तोड़ देंगे। ऐसा करने से आप अपने लिए लिए बहुत से दरवाजों को बंद कर देते हैं।


 इसलिए यह जरूरी है कि अपनी कंपनी को अलविदा कहने पर भी आप लोगों को शुक्रिया कहिए और उनके साथ एक अच्छा रिश्ता बना कर रखने की कोशिश कीजिए। ऐसा करने के लिए आप कुछ तरीकों को अपना सकते हैं।


 अगर आपको कहीं और काम मिल गया है, तो आप इसके बारे में अपने बॉस से पहले ही बात कर लीजिए। आप उनसे इस तरह से बात मत कीजिए जिससे यह लगे कि आप उनकी नौकरी पर लात मार कर जा रहे हैं और ना ही इस बात की शिकायत कीजिए कि आपको उनके यहाँ काम
करने में क्या परेशानी है। आप उनसे बस यह कहिए कि आपके हाथ एक नया मौका लगा है और आप उसे गँवाना नहीं चाहते।


 अपने काम को छोड़ने से पहले अपने सारे कामों को अच्छे से पूरा कीजिए। आपके जाने के बाद किसी को यह नहीं लगना चाहिए कि आप अपना काम अधूरा छोड़कर निकल गए हैं। अपनी जिम्मेदारियों से भागने की कोशिश कभी मत कीजिए।


 इसके बाद अपने साथ काम करने वाले लोगों का शुक्रिया कीजिए। उनसे यह बताइए कि किस तरह से उन लोगों ने आगे बढ़ने में आपकी मदद की। उन्हें बताइए कि आप उनके कितने शुक्रगुजार हैं। आप चाहें तो हर व्यक्ति के लिए एक चिठ्ठी भी लिख सकते हैं।


 अंत में, आप हर किसी से कान्टैक्ट बनाए रखने की पूरी कोशिश कीजिए। आप अपना कान्टैक्ट हर किसी को दे दीजिए, ताकि जब भी किसी को जरुरत हो,वो आप तक पहुंच सके। सभी को सोशल मीडिया पर ऐड कर लीजिए। इससे आप अलग होने के बाद भी रिश्ते को बनाए रख

पाएंगे।



Conclusion –

 

 एक आत्रप्रिन्योर की तरह सोचकर आप खुद को आने वाले समस्याओं से बचा सकते हैं और जिम्मेदारी लेना सीख कर अपने सपनों को हासिल कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी कंपनी को और उसके मार्केट को समझना होगा और यह देखना होगा कि किस तरह से आप अपनी कंपनी के ग्राहकों को अच्छी सर्विस दे सकते हैं। आपको अपने काम की अहमियत को समझना होगा। इस तरह से आप यह जान पाएंगे कि मार्केट के हालात बदलने से आपके काम पर किस तरह से असर पड़ेगा। इससे आप अपने किस्मत की डोर को अपने हाथ में लेकर चल पाएंगे और भविष्य के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे।

आपको क्या करना है ?

 हर रोज कुछ काम करते रहिए।


 एक बार आपको यह पता लग जाए कि आपको क्या करना है, तो आप प्लान के तैयार होने का इंतजार मत कीजिए। बल्कि उसी वक्त से हर रोज कुछ न कुछ काम करते जाइए। एक बार जब आप लय में बहने लगेंगे, तो आपको प्लान अपने आप मिल जाएगा।



 तो दोस्तों आपको आज का यह Think Like an Entrepreneur, Act Like a CEO बुक समरी कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस बुक समरी को अपने दोस्तों के साथ share जरूर करें।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
 
Wish You All The Very Best.

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