Language Intelligence Book Summary in Hindi – जीसस, शेक्सपीयर, और लेडी गागा ने लोगों को प्रभावित करने के तरीका जानिए
लैंग्वेज इंटेलिजेंस (Language Intelligence) में हम देखेंगे कि भाषा का इस्तेमाल किस तरह से करने पर हम लोगों के दिमाग पर असर डाल सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि वो कौन से तरीके हैं जिनके इस्तेमाल से नेता या कंपनियां हमारे दिमाग पर असर डालती हैं और हमसे अपना वोट लेती हैं या हमें अपना प्रोडक्ट बेचती हैं। साथ ही यह बुक समरी हमें बताती है कि हम किस तरह से अच्छी कहानियाँ और कविताएं लिख सकते हैं।
यह बुक समरी किसके लिए है :-
– वे जो लिटरेचर पढ़ते हैं और भाषा के बारे में जानना चाहते हैं।
– वे जो अपने बोलने की कला को बेहतर बनाना चाहते हैं।
– वे जो जानना चाहते हैं कि नेता किस तरह से हमें प्रभावित करते हैं।
लेखक के बारे में जानिए :-
जोसेफ जे रोम (Joseph J Romm) अमेरिका के एक लेखक, ब्लागर, फिजिसिस्ट और मौसम के एक्सपर्ट हैं। वे ग्रीन हाउस गैस को कम करने के पक्ष में काम करते हैं जो कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। साथ ही वे लोगों को बताते हैं कि उन्हें ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल कर के एनर्जी की बचत करनी चाहिए।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए :-
ज्यादातर लोगों को लगता है कि भाषा का इस्तेमाल हम सिर्फ बात करने के लिए करते हैं। लेकिन असल में भाषा के अंदर वो ताकत होती है जो हमें पूरी तरह से बदल कर रख सकती है। किसी व्यक्ति की एक बात सुनकर आपको हँसी आ सकती है, गुस्सा आ सकता है या फिर रुलाई भी आ सकती है। कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो हम कभी नहीं भूलते। आखिर उनमें ऐसी क्या खास बात होती है कि वे हमें याद रह जाती हैं?
यह किताब इस सवाल का जवाब देती है। यह किताब हमें बताती है कि भाषा का इस्तेमाल किस तरह से हम पर असर डाल सकता है। साथ ही यह कविता हमें बताती है कि किस तरह से इसका इस्तेमाल ग्रीस के जमाने से होता आ रहा है, कैसे बाइबल ने और शेक्सपियर ने इसका इस्तेमाल किया और किस तरह से हर दिन अलग अलग कंपनियां इसका इस्तेमाल कर रही हैं।
इस बुक समरी को पढ़कर आप सीखेंगे :-
– आसान शब्दों का इस्तेमाल करना क्यों जरुरी है।
– कुछ गाने हमें क्यों याद रह जाते हैं।
– शेक्सपीयर क्यों अपने नाटकों के लिए इतना जाने जाते थे।
प्रभावित करने वाली भाषा के बारे में हमें स्कूल में नहीं पढ़ाया गया, लेकिन इसका इस्तेमाल अब भी हो रहा है।
आपको लगता होगा कि आज के वक्त में हमें कोई भी बेवकूफ नहीं बना सकता, क्योंकि आज हम गूगल की मदद से सच जान सकते हैं। लोगों को लैंग्वेज का सब्जेक्ट कुछ ज्यादा पसंद नहीं है और ना ही यह स्कूलों में पढ़ाया जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल हर रोज हमारे आस पास किया जा रहा है।
आज के वक्त में लोग प्रभावित करने वाली भाषा को समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं जो कि अच्छी बात नहीं है। अगर हम इसे समझेंगे नहीं, तो हम इससे बच भी नहीं पाएगे। एक बार जब हम इसे अच्छे से समझ लेंगे तो हम यह जान पाएंगे कि इसका इस्तेमाल किस तरह से किया जा रहा है और असल में किस तरह से किया जाना चाहिए।
आज भी नेता और ऐड्स हमसे अलग तरह की भाषा में बात करते हैं। अगर आपको यह पता रहेगा कि ये लोग किस तरह से आप पर असर डाल रहे हैं तो आप इनके इरादों को पहचान पाएंगे। 1992 में एडवर्ड मैक्चैरी और डेविड ग्लेन मिक ने बहुत सी कंपनियों की एडवरटाइजिंग पर नजर डाली। उन्होंने देखा कि इन कंपनियों ने भाषा के असर को पड़ने और समझने के लिए अरबों खर्च कर डाले थे। वे यह जानना चाहते थे कि किस तरह से वे लोगों को याद रह सकते हैं।
एक्जाम्पल के लिए जब किसी ऐड में मजाक या मेटाफर का इस्तेमाल किया जाता है तो वो ऐड हमें याद रहता है। 5 स्टार चॉकलेट के ऐड में हमेशा एक कामेडी होती है जिसे देखने के बाद लोगों को बहुत मजा आता है। साथ ही उनकी यह लाइन बहुत फेमस है -जो खाए, खो जाए।
इसी तरह से यह कंपनियां और नेता बहुत से तरीकों का इस्तेमाल करते हैं ताकि वे हमारे दिमाग में अपनी आप छोड़ सकें। आपको यह जानना होगा कि कब इसका इस्तेमाल आपके खिलाफ किया जा रहा है।
छोटे वाक्य और आसान शब्दों की मदद से आप अपनी स्पीच से लोगों को प्रभावित कर सकते हैं।
बहुत बार हमें लगता है कि लिखते वक्त हमें मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इससे यह दिखेगा कि हम बहुत समझदार हैं। लेकिन पूरे इतिहास में जितने भी कामयाब लोग हुए, वे हमेशा अपनी बात को आसान शब्दों में कहा करते थे। आसान शब्द और छोटे वाक्य आसानी से समझ में आते हैं, जिससे हम लोगों तक अपनी बात को आसानी से पहुंचा पाते हैं।
एग्जांपल के लिए विन्सटन चर्चिल को ले लीजिए जो कि ब्रिटेन के बहुत कामयाब नेता थे। लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे कि उनके जैसी भाषा तो 10 साल का बच्चा इस्तेमाल करता है। लेकिन इसी 10 साल के बच्चे की भाषा इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को ही ब्रिटेन के लोगों ने अपना नेता चुना।
शेक्सपीयर दुनिया के सबसे महान लेखक माने जाते हैं। उनके नाटक हैमलेट की सबसे फेमस लाइन है टू बी और नाट टु बी, जिसका मतलब है “रहा जाए या ना रहा जाए। यह वाक्य इतना फेमस है की लोग आज भी इसकी गहराई को समझने की कोशिश करते हैं। शेक्सपियर के नाटक के वाक्य हमेशा बहुत छोटे होते हैं, लेकिन उनके बात की गहराई बहुत ज्यादा है।
इसके अलावा मार्टिन लूथर किंग जूनियर की सबसे फेमस स्पीच, जिसे सुनने के लिए हजारों को कई मील से चलकर आए थे, उस स्पीच का नाम था – मेरा एक सपना है। यह वाक्य एक 5 साल के बच्चे को भी समझ में आ जाएगा। साथ ही ओबामा की स्पीच का नाम था – हाँ, हम कर सकते हैं। यह भी बिल्कुल आसान शब्दों में कहा गया है।
ठीक इसी तरह से इतिहास में जितने भी लोग हुए जिन्होंने अपनी बात से लोगों के दिलों को जीता, वे अक्सर बहुत आसान शब्दों का इस्तेमाल किया करते थे। इसलिए आप
अपनी जानकारी दिखाने के लिए कभी मुश्किल शब्दों को मत इस्तेमाल कीजिए। बल्कि कम से कम शब्दों में वो बात सब तक पहुँचाने की कोशिश कीजिए।
एक ही बात को बार बार कहने से वो बात हमारे दिमाग में बैठ जाती है।
यह बात आपने स्कूल के समय में ही जान ली होगी कि जब आप एक ही चीज़ को बार- बार पढते हैं तो वो आपको याद हो जाती है। ठीक इसी तरह से जब आप किसी से एक ही बात बार-बार कहते हैं तो वो बात उसके दिमाग में उतर जाती है और वो उसे उसे याद रखता है।
गाने इसका सबसे अच्छा एक्जाम्पल हैं। बहुत से गानों में आप ने सुना होगा कि सिंगर्स गाने के नाम को बार-बार दोहराते रहते हैं। अर्जित सिंह का गाना “मैं फिर भी तुमको चाहूँगा” में इसका नाम ना जाने कितनी बार दोहराया गया है। और यह गाना बहुत ज्यादा हिट हुआ था। ठीक उसी तरह से कुछ साल पहले यो-यो हनी सिंह बहुत फेमस हुआ करते थे। उनकी खास बात थी कि वे अपने हर गाने में अपना नाम डाल दिया करते थे। लोगों को उनका नाम आज भी अच्छे से याद है।
सिर्फ गाने ही नहीं, धार्मिक ग्रंथ भी एक ही बात को बार-बार दोहराते है। जार्ज बुश, जो अमेरिका के राष्ट्रपति थे, वे बहुत अच्छे स्पीकर माने जाते थे। वे पूरी तरह से क्रिशन थे और बाइबल से उन्हें कुछ खास लगाव था। वे भी अपनी बात को दोहरा कर लोगों तक पहुँचाया करते थे। उनकी स्पीच कुछ इस तरह से शुरू हुआ करती थी शुरुआत में सिर्फ एक शब्द था। वो शब्द भगवान के साथ था और वो शब्द थे – भागवान।
इसके अलावा बहुत सारे स्पीकर्स ही बात को बार बार अलग-अलग तरह से कहते हैं ताकि वो बात लोगों के दिमाग में अच्छे से बैठ जाए। 2004 के डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में ओबामा ने अमेरिका का नाम दो वाक्य में 6 बार लिया था।
व्यंग्य का इस्तेमाल कर के आप सच को बहुत मजेदार तरीके से लोगों के सामने ला सकते हैं।
हमने यह अक्सर देखा है कि जब दो लोग बहस कर रहे होते हैं, तो उनमें से एक व्यक्ति दूसरे की बात का मजाक उड़ाने लगता है। वो कुछ इस तरह से उसकी समझदारी की तारीफ करता है जिससे सामने वाले की बात गलत साबित हो जाती है।
एक्जाम्पल के लिए माइकल क्रिचटन नाम के लेखक ने 1970 के दशक में वैज्ञानिकों का मजाक उड़ाया जो कह रहे थे कि धरती अब ठंडी पड़ने वाली है और यह बहुत जल्दी बर्फ से ढक जाएगी। इसके बाद जार्ज विल नाम के एक जर्नलिस्ट ने उनकी इस बात को दोहरा-दोहरा कर कई बार अपने अखबार में छापा। ऐसा करने के पीछे उनका मकसद था वैज्ञानिकों को गलत साबित करना।
इसके बाद 2008 में यह बात सामने आई कि 1960 से 1980 के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिससे वैज्ञानिकों को यह मानना पड़े कि धरती बर्फ से जमने वाली है। यह सारी बातें झूठ थी। तो यहाँ पर एक गलत बात को लोगों के सामने कई साल तक कुछ इस तरह से लाया गया जिसमें यह कभी नहीं कहा गया कि वैज्ञानिक गलत थे, लेकिन फिर भी सब लोग समझ गए कि वैज्ञानिकों का मजाक उड़ाया जा रहा है। इसे ही व्यंग्य कहते हैं।
इसका इस्तेमाल शेक्सपियर ने अपने नाटक जूलियस सीज़र में किया है। इस नाटक में ब्रूटस नाम का एक व्यक्ति सीज़र को मार देता है क्योंकि उसे लगता है कि वो तानाशाह बन जाएगा। बाद में ब्रूटस जनता को बताता है कि उसने ऐसा क्यों किया और वो जनता से कितना प्यार करता है। लेकिन जब मार्क एंटोनी बोलने के लिए आया, तो उसने सीजर के पक्ष में बोलना शुरू किया। उसने ब्रूटस की तारीफ करते हुए अपनी बात को कुछ इतने मजेदार तरीके से कहा कि जनता समझ गई कि सीज़र हमेशा उनके बारे में सोचता था और ब्रूटस और उनके साथियों ने उसे बिना वजह मार दिया।
पेहले उसे कहना लोगों को प्रभावित अपनी बात को कहने से करने का एक अच्छा तरीका है।
अपनी बात को कहने से पहले उसे कहने का मतलब है कि लोगों को अपनी स्पीच के शुरुआत में ही यह बताइए कि आप उन्हें क्या बताने वाले हैं। अच्छी कहानियाँ अक्सर कुछ इसी तरह से शुरु होती हैं –
ये कहानी है उस शूरवीर योद्धा की जिसने ना सिर्फ गुलामी की जंजीरें तोड़ी और एक महान राजा बना बल्कि जिसने दुनिया भर के हजारों गुलामों को आजाद कराया।
यहाँ पर कहानी शुरू नहीं हुई लेकिन हमें यह पता लग गया कि इस कहानी में क्या है। ठीक इसी तरह से मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने भी कुछ इसी तरह से अपनी सबसे फेमस स्पीच की शुरुआत की थी। 1963 में लिंकन मेमोरियल पर खड़े होकर उन्होंने कहा कि आने वाले मार्च में वे आजादी के लिए जो पहल करेंगे, वो इतिहास में याद रखी जाएगी। और इस तरह से उन्होंने अपनी फेमस स्पीच “मेरा एक सपना है” को लोगों के सामने रखा जो असल में याद रखी गई।
उन्होंने पहले ही लोगों को बता दिया था कि उनकी स्पीच में आजादी की बात होगी और वो बात कुछ ऐसी होगी जिसे सब लोग याद रखेंगे।
इस तरह से आप लोगों को बताइए कि आप उन्हें क्या बताने वाले हैं। बाइबल में भी इस तरीके का इस्तेमाल किया गया है, जहाँ पर लोगों को पहले ही यह बता दिया जाता है कि जैकाब एक बहुत अच्छा इंसान है और वो अपने पिता का फेवरेट बेटा है, जिस वजह से उसके भाई उससे जलते हैं।
बाद में जलन की वजह से उसके भाई उसे इष्ट के बाजार में गुलाम की तरह बेच देते हैं, जहाँ पर जैकाब बाद में चलकर राजा बन जाता है। इसके बाद उसके भाइयों के राज्य में सूखा पड़ता है जिससे वे लिस्ट में मदद के लिए जाते हैं। यहाँ पर उनके भाई जैकाब ने उन्हें उनके कर्मों के लिए सजा नहीं दी, बल्कि उसने उनकी मदद की।
इस तरह से हमने कहानी में आकर यह साबित कर दिया कि जैकाब वाकई एक अच्छा इंसान है।
मेटाफर के इस्तेमाल से आप लोगों के दिमाग में एक चित्र बना सकते हैं।
शेक्सपियर के रोमियो एन्ड जूलिएट के नाटक में रोमियो जूलिएट से बोलना है – क्या मैं तुम्हें गर्मी का दिन कहूं?
अमेरिका में ठंड बहुत ज्यादा पड़ती है जिसकी वजह से धूप और गर्मी का मौसम वहाँ के लोगों के लिए बहुत राहत लेकर आता है। इस तरह से जूलिएट को गर्मी का दिन कहना अचानक से हमारे होठों पर एक मुस्कान ले आता है। अगर उसने इस बात को आसान शब्दों में कहा होता – तुम बहुत खूबसूरत हो, तो शायद हम नहीं मुस्कुराते।
लेकिन यह जरूरी नहीं है कि एक मेटाफर का असर हर किसी पर एक जैसा हो। अगर यही लाइन दिल्ली में रहने वाला लड़का एक लड़की से कहेगा तो लड़की कभी नहीं मुस्कुराएगी। इसलिए इनका इस्तेमाल सोच समझ कर कीजिए।
मेटाफर इसलिए इतना अच्छा असर डालते हैं क्योंकि वे हमारे दिमाग में किसी चीज़ का चित्र कुछ इस तरह से बना देते हैं जिससे उसका कोई लेना देना नहीं होता। यहाँ पर जूलिएट का गर्मी के दिन से कोई ताल्लुक नहीं है, फिर भी उनको एक जैसा कह दिया गया है जिससे हमारे दिमाग में जूलिएट का बहुत खूबसूरत चित्र बन जाता है।
इसके अलावा मेटाफर का इस्तेमाल हमारा दिमाग जानकारी को याद रखने के लिए करता है। कान्हेमैन नाम के एक साइकोलॉजिस्ट ने अपनी स्टडी में इसे साबित किया।
डेट्रोइट और मिशिगन में लगभग हर साल एक ही संख्या में लोग मारे जाते हैं। लेकिन डेट्रोइट अपने अपराधों के लिए जाना जाता है। इसलिए जब वहां के स्टूडेंट्स से पूछा गया कि हत्याएं कहाँ ज्यादा होती हैं, तो स्टूडेंट्स ने डेट्रायट का नाम लिया। वे उसे अपराध के लिए याद करते थे। इसी तरह से हमारा दिमाग चीज़ों को याद रखने के लिए उनकी तुलना करता रहता है।
मेटाफर का इस्तेमाल अच्छे से करने से आप लोगों के दिमाग में बहुत गहरा इमेज बना सकते हैं।
एक छोटी सी लाइन में भी मेटाफर इस्तेमाल करने से उसकी खूबसूरती बढ़ जाती है। लेकिन अगर आप इसका इस्तेमाल कुछ ज्यादा करेंगे, तो यह खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है और लोगों को बताई जाने वाली बात बहुत अच्छे से याद रहती है।
एग्जांपल के लिए बाइबल में इसका इस्तेमाल किया गया है। चेस्टर 10 में जीसस को एक चरवाहे की तरह दिखाया गया है जिसमें वो अपनी भेड़ों को एक भेड़िए से बचाने के लिए अपनी कुर्बानी देने के लिए राजी हो जाते हैं। यह इमेज दिखाता है कि जीसस इंसानों की भलाई के लिए हमेशा हाजिर रहेंगे और वे इसके लिए अपनी कुर्बानी देने के लिए भी राजी हैं। मुश्किलों को यहां पर एक भेड़िए की तरह दिखाया गया है।
इस तरह के मेटाफर का इस्तेमाल राजनीति में बहुत किया जाता है, जहाँ पर एक पाजिटीव इमेज एक नेता के लिए बनाई जाती है और दूसरी नेगेटिव इमेज दूसरे नेता के लिए। इससे लोगों के दिमाग में एक नेता के लिए नेगेटिव बातें आने लगती हैं और दूसरे के लिए पाजिटिव जिससे पाजिटिव इमेज वाला नेता जीत जाता है।
2004 के इलेक्शन में डेमोक्रेट्स ने मेटाफर से संबंधित बहुत बड़ी गलती कर दी थी। उन्होंने जार्ज बुश को एक साथ समझदार और बेवकूफ दोनों दिखा दिया जिससे उनकी पाजाटिव और नेगेटिव इमेज ने एक दूसरे को खत्म कर दिया और डेमोक्रेट्स की मेहनत बेकार गई।
एक तरफ उन्होंने दिखाया कि बुश ने कहा कि सद्दाम हुसैन और ओसामा बिन लादेन के बीच में एक कनेक्शन है और इराक में बहुत सारे हथियार हैं। दूसरी तरफ उन्होंने दिखाया कि बुश ने 9/11 के हमले के बाद किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया। इस तरह से उनकी पाजाटिव और नेगेटिव इमेज ने एक दूसरे को खत्म कर दिया, जिससे डेमोक्रैट्स को कोई फायदा नहीं हुआ।
प्रभावित करने वाली भाषा का इस्तेमाल गलत काम के लिए भी किया जा सकता है।
अब तक आप यह समझ गए होंगे कि अगर किसी चीज़ का इस्तेमाल गलत काम के लिए नहीं किया जा सकता, तो वो चीज़ ताकतवर नहीं है। क्योंकि प्रभावित करने वाली भाषा में लोगों के मन पर असर डालने वाली ताकत है, इसका इस्तेमाल भी गलत काम के लिए किया जा सकता पहले के वक्त में एथेन्स नाम के एक शहर में सोफिस्ट नाम का एक ग्रुप था जो इस भाषा का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करता था। प्लेटो नाम के एक फिलासफर ने कहा की भाषा को इस तरह से इस्तेमाल करने की ताकत वाकई लाजवाब है, लेकिन गलत इस्तेमाल करना किसी भी तरह से ठीक नहीं है। सोफिस्ट इस भाषा को इस्तेमाल करने में इतने माहिर थे वे एक डाक्टर ना होते हुए भी खुद को एक बेहतर डाक्टर साबित कर सकते थे।
उसके अलावा एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग में इस भाषा का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है। कंपनियां चाहती हैं कि आप उनका सामान खरीदें और इसलिए वे अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं।
1996 में केविन होगन ने एक किताब लिखी जिसका नाम था-द साइकोलाजी आफ पसुएशन। इसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से लोगों को खरीदने के लिए ना कह कर भी हम उन्हें खरीदने के लिए मजबूर कर सकते है एकज़ाम्प्ल के लिए, अगर हम आपसे कहें – हाथी के बारे में मत सोचिए। तो आपके दिमाग में हाथी का ही चित्र आएगा।
इस तरह से होगन ने देखा कि जब लोगों से कहा गया कि उन्हें वो प्रोडक्ट खरीदने की जरूरत नहीं है, तो वे लोग उनका प्रोडक्ट खरीद लेते थे। यहाँ तक की वे लोगों से कहते थे कि उन्हें प्रोडक्ट खरीदने के लिए इतनी जल्दी मन नहीं बनाना चाहिए, तो भी वे खरीद लेते थे।
तो इस तरह से कहानियों में, स्पीच में, कविताओं में और मार्केटिंग में भी इस प्रभावित करने वाली भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। आपको यह पहचानना होगा कि कब इसका इस्तेमाल आपसे फायदा लेने के लिए किया जा रहा है।
Conclusion :-
भाषा का इस्तेमाल अगर कुछ अलग तरह से किया जाए तो इससे हम लोगों के दिल और दिमाग पर असर डाल सकते हैं। इसका इस्तेमाल बहुत पहले से होता आया है। शेक्सपियर ने इसका इस्तेमाल लगभग अपने कर्नाटक में किया है। आज भी नेता और कंपनियां इसका इस्तेमाल करते हैं ताकि वे हम पर असर डाल सकें।
क्या करें ?
अपको जो जानकारी मिल रही है उसे समझने की कोशिश कीजिए।
अगली बार जब आप एक नेता को बोलते हुए सुनिए, तो उसकी बात पर यकीन मत कीजिए। बल्कि यह समझने की कोशिश कीजिए कि किस तरह से वो आपके ऊपर प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है। क्यों वो आप पर प्रभाव डाल रहा है। एक बार जब आपको समझ में आ जाए कि वो नेता असल में क्या चाहता है, तो ही आप उसकी बात पर यकीन कीजिए।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह बुक समरी आपको कैसा लगा और इस बुक समरी से आपने क्या सीखा है नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस बुक समरी को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.